शिमला 11 सितंबर । बेसहारा बेजुबान गौवंश का एक झुंड बीते छः माह से जुन्गा के समीप शिमला सड़क पर अश्वनी खडड पर बने पुल पर डेरा डाले हुए है । सवाल यह है कि आखिर यह बेजुबान गौवंश कहां जाएं । न जाने किस कू्रर व्यक्ति द्वारा इन पशुओं को सड़क पर लाकर धक्के खाने के लिए बेसहारा छोड़ दिया है ।
भूख मिटाने के लिए यह गौवंश रात्रि को किसानों की फसलों का नुकसान कर देते हैं । कई बार दिन में आसपास घास चुुगकर अपना पेट भरते हैं । अनेकों बार यह गौवंश भूख में मजबूरन प्लास्टिक इत्यादि खा लेते हैं जोकि पेट के भीतर संक्रमण पैदा कर देता है । इन पशुओं को कोई घास चारा नहीं डालता है । अपनी छत न होने पर यह पशु गर्मी, सर्दी और बरसात में खुले मैदान में विचरण करते रहते हैं । हांलाकि माननीय उच्च न्यायालय ने सड़कों पर बेसहारा घुम रहे पशुओं के पुनर्वास के लिए स्थानीय पंचायत को जिम्मा सौंपा गया है ।
गौर रहे कि अश्वनी खडड पर बना पुल दो पंचायतों जुन्गा और पुजारली को जोड़ता है । दोनों पंचायतों के प्रधान एक दूसरे की जिम्मेवारी की बात करते हैं। ग्राम पंचायत जुन्गा के प्रधान बंसी लाल कश्यप से जब इस बारे बात की गई । उन्होने बताया कि यह एरिया ग्राम पंचायत पुजारली के अधीन आता है । यही बात पुजारली की प्रधान मीरा कश्यप ने दोहराई । सबसे अहम बात यह है कि दोनों पंचायतों में से किसी भी पंचायत ने और न ही स्थानीय प्रशासन द्वारा बेसहारा गौवंश पुनर्वास के लिए आज तक कोई पग नहीं उठाए हैं । पुजारली की प्रधान मीरा कश्यप ने आश्वासन दिया कि दोनों पंचायतें मिलजुल इन बेसहारा गौंवश को गौसदन में भेजने की व्यवस्था करेगी ताकि यह बेसहारा गौवंश को सहारा मिल सके ।