लेखकों ने बाबा भलकु के गांव झाझा में की कवि गोष्ठी, उनके पुश्तैनी घर में उनके परिजनों से भी की मुलाकात।
हिमालय साहित्य मंच द्वारा आज बाबा भलकु की स्मृति में साहित्य यात्रा का आयोजन किया गया और उनके पुश्तैनी गांव झाझा तथा उनके घर का भ्रमण भी किया। जहां भलकु के परिजनों और स्थानीय लोगों से मुलाकात की और भलकु के दुर्लभ कार्यों की चर्चा भी की गई। उनकी पांचवीं पीढ़ी के वरिष्ठ सदस्य दुर्गा दत्त जी ने लेखकों को अंग्रेजों द्वारा भलकु की प्रशंसा में दिए गए कई पत्र भी दिखाए जो उन्हें हिंदुस्तान तिब्बत रोड के निर्माण में उनकी अनूठी भूमिका के परिचायक है।
दुर्गा दत्त जी ने भलकु जी की कई दुर्लभ बातें और कथाएं भी लेखकों से साझा की जिनमें उनकी दिव्य शक्तियों और कालका शिमला रेलवे लाइन के सर्वे की बातें भी शामिल थीं। दुर्लभ प्रतिभा के स्वामी बाबा भलकु की स्मृति में आयोजित यह साहित्यिक यात्रा कामगारों के श्रम को समर्पित रहती है जिन्होंने अपने हाथों से न केवल कालका शिमला हिंदुस्तान रोड के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई बल्कि कालका शिमला रेलवे लाइन में भी अभूतपूर्व योगदान दिया। यह जानकारी हिमालय मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट ने मीडिया को दी।
उन्होंने बताया कि भलकु परिवार के वरिष्ठ सदस्य दुर्गादत जी और सुशील जी तथा भलकु के अन्य परिजनों ने पुष्पगुच्छ भेंट कर लेखकों का स्वागत भी किया। हिमालय मंच के वरिष्ठ सदस्य जगदीश कश्यप जी का आज जन्मदिन भी था। कुफरी चीनी बंगलो में लेखकों ने उन्हें फूल और मफलर भेंट कर उन्हें बधाई और शुभकनाए दी।
हरनोट ने जानकारी दी कि हिमालय साहित्य मंच वर्ष 2017 से प्रति वर्ष भलकु की स्मृति में दो दिवसीय ” बाबा भलकु समृति कालका शिमला साहित्य यात्रा” का आयोजन कर रहा है। इस वर्ष यह यात्रा 8 और 9 जुलाई, 2023 को आयोजित की गई थी जिसमें देश भर से 15 लेखकों ने हिमाचल के 20 लेखकों के साथ भाग लिया था परंतु यात्रा के आखरी दिन 9 जुलाई को भारी वर्षा के कारण भलकू के पुश्तैनी घर गांव झाझा नहीं जा पाए थे और लेखकों को चायल से ही लौटना पड़ा था। इसलिए आज इस यात्रा का अंतिम चरण पूर्ण किया गया।
यात्रा शिमला पुराने बस स्टैंड से 8.30 बजे शुरू हुई जो कुफरी, चायल पैलेस होटल और काली टिब्बा से होती हुई दोपहर बाद झाझा पहुंची। सुशील कुमार जी के घर में लेखकों ने एक कवि गोष्ठी भी की। इससे पूर्व चलती गाड़ी में भी लेखकों ने अपने अपने परिचय के साथ अपनी अपनी रचनाएं सुनाई और साहित्य पर खून चर्चा की।
इस यात्रा में जो लेखक शामिल हुए उनमें
एस आर हरनोट, सैनी अशेष,जगदीश कश्यप, दीप्ति सारस्वत, कल्पना गांगटा, दक्ष शुक्ला, सिकंदर बंसल, लखविंदर सिंह, वंदना राणा, राजन तनवर, रचना तनवर, सविता कुमारी और जान्हवी ठाकुर शामिल रहे।