क्रेजीन्यूज़इंडिया
जिला कुल्लू में उपमंडल बंजार की तीर्थन घाटी अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के साथ यहां की प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति के लिए भी जानी जाती है। इस घाटी में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को वर्ष 2014 में विश्व धरोहर का दर्जा मिला था। पार्क क्षेत्र के सरंक्षण एवं संवर्धन के लिए पार्क प्रबन्धन द्वारा हर वर्ष 2 अक्टूबर के दिन को एक उत्सव के रुप में मनाया जाता है। हर वर्ष की भांति इस बार भी सोमवार को पार्क प्रबन्धन द्वारा शाईरोप में वन्य प्राणी सप्ताह और महिला मेले को बड़ी धुमधाम से मनाया गया।
मेले में यहां की स्थानीय महिलाओं के लिए कुल्लूवी नाटी, कुर्सी दौड़ और मटका फोड़ प्रतिस्पर्धा तथा स्कुली छात्रों के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की निदेशक मीरा शर्मा बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रही। इसके अलावा वन परिक्षेत्राधिकारी परमानन्द, जीएचएनपी की तीनों रेंजो के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारीगण, स्थानीय पंचायतों के जनप्रतिनिधि, स्वैच्छिक संस्थाओं के सदस्य एवं पदाधिकारी विषेश रूप से उपास्थित रहे।
तीर्थन रेंज के वन परिक्षेत्राधिकारी परमानन्द ने बताया कि विश्वभर में हर साल अक्टूबर माह के पहले सप्ताह को वन्य प्राणी सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इन्होंने बताया कि इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में तेजी से विलुप्त हो रही वनस्पति और वन्य जीव जंतुओं की प्रजाति की सुरक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है। इन्होंने बताया कि सप्ताह भर तक पार्क क्षेत्र के इकोजोन में स्थित स्कूलों में वन्य प्राणी विषय पर आधारित अनेकों कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिसमें स्कूली छात्रों के लिए नेशनल वॉक, निबन्ध लेखन, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, पेंटिंग, नारा लेखन और अन्य गतिविधियां संचालित की जाएगी।
शाई रोपा में आयोजित महिला मेले में इस बार बीते वर्षों से कहीं ज्यादा भीड़ और लोगों में उत्साह देखने को मिला है। करीब डेढ़ दशक पूर्व से गांधी जयंती के अवसर पर मनाया जाने वाला यह मेला घाटी की महिलाओं के लिए मनोरंजन के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का भी बेहतर जरिया बन गया है। अब इस मेले के दौरान भी अन्य परंपरागत मेलों की तरह शाईरोपा में मिठाईयों हलवाइयों, खिलौनों, कपड़ों आदि की दुकानें सजने लगी है। इस बार मेले में जहां लोकनृत्य नाटी, कुर्सी दौड़ और मटका फोड़ प्रतिस्पर्धा आयोजित की गई वही स्कूली छात्र छात्राओं के लिए भी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के इको जॉन क्षेत्र से इस बार कुल 13 महिला मंडलों और स्वयं सहायता समूहों ने इस मेले मेले में हिस्सा लिया है। इस एक दिवसीय नाटी प्रतियोगिता में ग्राम पंचायत तुंग से महिला मण्डल बरनागी को प्रथम, ग्राम पंचायत नोहंडा से स्वयं सहायता समूह तिंदर को द्वितीय और ग्राम पंचायत कांडीधार की महिला मंडल को तृतीय पुरस्कार हासिल हुए है। इसके अलावा इस मेले में महिला मंडल गुशैणी, फरियाडी, रिखली, सुचैहन, ठाणेधार, गरूली, सरूट, रोपा, कमेड़ा और मझली की महिलाओं ने इस कुल्लवी नाटी प्रतिस्पर्धा में अपने पारम्परिक परिधानों के साथ बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी अपनी कला का प्रर्दशन किया है। सभी महिलाओं ने मंनोरंजन के साथ साथ मुख्यता बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का सन्देश दिया है। इस कार्यक्रम के दौरान बीटीसीए द्वारा वन्य प्राणी विषय पर आधारित एक लघु नुकड़ नाटक का भी प्रदर्शन किया गया जिसे लोगों ने खूब सराहा है। बीटीसीए संस्था ने इस कार्यक्रम के संचालन में अपनी एहम भूमिका निभाई है।स्कूली छात्र छात्राओं के लिए करवाई गई प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल बंजार की पारुल और प्रांजल नेगी प्रथम, ट्रिनिटी पब्लिक स्कूल बंजार के सक्षम ठाकुर और तनीशा ठाकुर को द्वितीय और डीएवी पब्लिक स्कूल बंजार के रिजुल शर्मा और संजना को तृतीय स्थान हासिल हुआ है। वहीं कुर्सी दौड़ प्रतियोगिता वीना देवी प्रथम और मटका फोड़ में पूनम विजेता रही।
बंजार क्षेत्र के सैंकड़ों लोगों सहित बाहरी राज्यों से आए पर्यटकों ने भी इस महिला मेले को देखने का भरपूर लुत्फ उठाया। सैलानी यहां की प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति को देखकर बागबाग़ हो उठे कई तो इस कार्यक्रम की झलकियों को अपने कैमरों में कैद करके ले गए हैं। दोपहर बाद तो दर्शकों के लिए पंडाल भी छोटा पड़ गया भीड़ इतनी उमड़ी कि यहां पर तिल धरने को भी जगह नहीं बची। इसी दौरान स्थानीय लोगों और सैलानियों ने नेचर लर्निंग सेंटर में भी खुब चहल कदमी की है।
महिला मेले में लगा प्राकृतिक खेती उत्पाद का स्टॉल भी स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण रहा। इस स्टॉल के संचालक एवं प्राकृतिक खेती प्रशिक्षक ठाकुर दास द्वारा लोगों को कोदरे की गर्म चाय और चिल्डू उचित दाम पर परोसे गए। इसके साथ ही इन्होने लोगों को जहर मुक्त प्राकृतिक खेती के बारे भी जागरूक किया है। पारंपरिक कृषि उत्पाद कोदरे से बनी चाय को पीने में पर्यटकों ने भी खूब दिलचस्पी दिखाई है।महिला मेले में हुई इस नाटी प्रतियोगिता के दौरान निर्णायक मंडल में डॉक्टर विकास कुमार, शुभम ठाकुर और जीवन बुदल ने बतौर जज अपना निर्णय दिया है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मीरा शर्मा ने सभी विजेताओं को ट्रॉफी और अन्य नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया है।