मुख्य सचिव रामसुभग सिंह के खिलाफ अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) रहते पीएमओ में भ्रष्टाचार को संरक्षण देने की शिकायत हुई है, जिस पर प्रधानमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय हरकत में आ गए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के आदेश पर केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक पत्र भेजा है, जिसमें उपयुक्त कार्रवाई करने के लिए कहा है। यह शिकायत शिव सेना के नेता बृज लाल ने की है।
अचानक इस मामले के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सरकारी स्तर पर हलचल है। प्रधानमंत्री कार्यालय में यह शिकायत 8 सितंबर 2021 को हुई थी। इसे 20 सिंतबर को अवर सचिव वेद ज्योति ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण सचिव को उपयुक्त कार्रवाई के लिए भेजा। 13 अक्तूबर को इसे केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के अवर सचिव रूपेश कुमार ने हिमाचल प्रदेश के प्रधान सचिव मुख्यमंत्री को संबोधित कर उपयुक्त कार्रवाई करने की संस्तुति की। तबसे लेकर यह शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में ही दबी पड़ी थी। इस बारे में मुख्य सचिव रामसुभग सिंह से उनका पक्ष जानना चाहा, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।
शिकायत में आरोप हैं कि जब रामसुभग सिंह के पास वन विभाग था तो नगरोटा बगवां में करोड़ों रुपये से एक इंटरसेप्शन सेंटर बनाया गया। वन विभाग के दो आईएफएस और एक अधिशासी अभियंता की रिपोर्ट के अनुसार भवन निर्माण में कई खामियां पाई गईं। इसमें घटिया सामग्री इस्तेमाल होने और करीब 60 लाख रुपये की गड़बड़ी का आरोप है। इस भवन को जांच कमेटी ने असुरक्षित घोषित किया।
इस भवन को जांच कमेटी ने असुरक्षित घोषित किया। शिकायतकर्ता ने विजिलेंस को शिकायत की तो प्रधान सचिव विजिलेंस ने कार्रवाई के लिए शिकायत रामसुभग सिंह को भेजी। शिकायत के अनुसार अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) रहते रामसुभग सिंह ने मामले को दबाया और भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों को बचाया। वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि इस पत्र में कई चीजें स्पष्ट नहीं हैं। कोई भी किसी के खिलाफ पत्र लिख रहा है। यह मामला ध्यान में है और इस पर विचार करेंगे।