एपीजी शिमला विश्विद्यालय के इंजीनियरिंग एवं कंप्यूटर साइंसेज विभाग की ओर से एक दिवसीय एडवांस्ड कंप्यूटिंग में करियर विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया जिसकी मेज़बानी डीन इंजीनियरिंग डॉ. आनंद मोहन शर्मा ने की। इस मौके पर बड़ी संख्या में हिमाचल, भारत के कई राज्यों सहित विदेशी छात्र-छात्राओं , शिक्षकों व प्रतिनिधियों ने भाग लिया। वेबिनार में विदेशी विश्वविद्यालयों के शिक्षविदों व प्रोफेसर्स ने एडवांस कंप्यूटिंग के महत्व पर प्रकाश डाला।
एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. रमेश कुमार चौधरी, स्टेफोर्डशायर विश्विद्यालय के कंप्यूटिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. टोनी एटकिन्स, कंप्यूटिंग एवं डिजिटल टेक्नोलॉजी के हेल्थ इन्फार्मेटिक्स विभाग के सहायक प्रो. डॉ. रसल कैप्न , टैबह विश्वविद्यालय के हेल्थ इंफॉर्मेटिक्स विभाग के सहायक प्रो. डॉ. नावफ अल्हारबे ने बतौर मुख्य वक्ता व एडवांस्ड कंप्यूटिंग विशेषज्ञ वेबिनार में शिरकत की।
विषय विशेषज्ञओं ने प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर देकर वर्तमान समय में एडवांस्ड कंप्यूटिंग की स्टडी के महत्व व इसमें अपार रोज़गार के साथ कृषि क्षेत्र से लेकर मेडिकल क्षेत्र व सभी क्षेत्रों में एडवांस्ड कंप्यूटिंग की नितांत आवश्यकता के बारे में बताया।
कुलपति प्रो. डॉ. रमेश कुमार चौधरी जो एक शिक्षाविद होने के साथ-साथ एडवांस्ड कंप्यूटिंग के प्रोफेसर व वैज्ञानिक भी हैं, उन्होंने कहा कि आज कंप्यूटर से भी ऊपर एडवांस्ड कंप्यूटिंग कोर्सेज का अध्धयन की आवश्यकता हर क्षेत्र में महसूस की जा रही है खासकर विकासशील देशों में ताकि सुलभ टेक्नोलॉजी के साथ साथ युवा पीढ़ी के लिए रोजगार सृजन के द्वार भी खुलें और बेरोज़गारी पर भी क़ाबू पाया जा सके।
कुलपति चौधरी ने कहा कि इस तकनीक से बड़े से बड़े साइबर अपराधों पर आसानी से नुकेल कसी जा सकती वहीं मेडिकल क्षेत्र में बड़ी से बड़ी बीमारियो, कोरोना जैसी महामारियों का पता लगाकर उन पर आसानी से विजय पाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग, साइंसेज, कंप्यूटर जैसे कई कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं पर इस बार इस साल से एडवांस्ड कंप्यूटिंग के विभिन्न कोर्सेज जैसे आर्टिफीसियल कंप्यूटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग आदि शुरू किए जा रहे हैं। वेबिनार में शामिल विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों डॉ. रसल, डॉ. नावफ और डॉ. टोनी ने अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि एडवांस्ड कंप्यूटिंग वह तकनीक है जिसके जरिये मनुष्य सुखी व सुरक्षित जीवन जी सकता है।
उन्होंने कहा कि जो जन समुदाय व देश इस तरह की तकनीक में अधिक विकसित होगा वह विज्ञान से लेकर कृषि, मेडिकल क्षेत्र में महारित हासिल कर कोरोना जैसे महामारी वाले दैत्य को मात देकर अपने नागरिकों की रक्षा करने में सक्षम होगा। विषय विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि विकसित देश भी इस तकनीक का कोविड-19 को मात देने में असमर्थ इसलिए रहे क्योंकि आम नागरिक एडवांस्ड कंप्यूटिंग जैसी तकनीक से अभी दूर है।