जिला की लगघाटी में देवता क्षेत्रपाल के नए देवरथ ( Devrath)का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ है। पूजा व प्रतिष्ठा करने के बाद देवता नय रथ में विराजमान हुए। इसे रथ को 10 दिन में तैयार किया गया। देवता ने क्षेत्रपाल ने हरियानों के साथ ब्यास और पार्वती के पवित्र के संगम स्थल पर डुबकी लगाई और पुरानी शक्तियां अर्जित की। इसके बाद में अपने स्थाई भवन लौट गए। क्षेत्रपाल के लिए उंगू नामक पेड़ की लकड़ियों से देवरथ का निर्माण किया गया है। माता फुंगणी के जंगलों से यह लकड़ियां एक वर्ष पहले लाई गई थी। जिसके बाद इसे मिट्टी में दबा कर रखा गया था। देव आज्ञानुसार बैसाख माह में इसकी लकड़ी को निकाल कर सुखने के लिए रखा गया। जिसके बाद देव आज्ञानुसार इस रथ का निर्माण कार्य शुरू किया गया। माना जाता है कि रथ के साथ देवता की पुरानी शक्तियां भी पुनः लौट आती है।इसके बाद देवता रविवार से घाटी के गांव-गांव जा कर लोगों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देंगें।
देवता के कारदार सुंदर सिंह ने बताया कि देवता के आज्ञा अनुसार उन्हें शाही स्नान के लिए ब्यास और पार्वती के संगम स्थल पर लाया गया था। नए रथ बनने के बाद देवता को शाही स्नान के लिए लाया जाता है, इससे उनकी शक्तियां वापस आ जाती है। रविवार के दिन देवता अपने कोठी के हर गांव-गांव में जा जाकर लोगों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करेंगे। अच्छी फसल रोग बीमारी से कष्ट निवारण कर देवता अपने निवास स्थान पहुंचेंगे।