पिछले कल बिलासपुर के उम्दा पत्रकार और शब्दों के जादूगर शब्बीर कुरैशी की 15 पुण्यतिथि थी। शब्बीर कुरैशी पत्रकारिता जगत में एक बड़ा नाम थे और आमजन की आवाज उठाने में कभी पीछे नहीं हटे यह कहना है जिला कांग्रेस में महासचिव संदीप सांख्यान का। उन्होनें कहा कि पिछले कल प्रदेश की राजनीति के पुरोधा रहे पूर्व मंत्री स्व. राजा वीरभद्र सिंह जी की पवित्र अस्थि वित्सर्जन कार्यक्रम की व्यस्तता के चलते स्व. शब्बीर कुरैशी जी को नमन नहीं कर पाया आज इनकी स्मृति में उनके सम्मान में लिख कर अपनी श्रद्धांजलि उनको व्यक्त करता हूँ। शब्बीर कुरैशी एक उम्दा पत्रकार तो थे हीप र साहित्य लिखने में भी उनको महारत हासिल थी। उनके पत्रकारिता के समय मे अखबारों में लोकल एडिसन नहीं आते थे तो जो वह लिखते थे उसको पूरे उतरी भारत क्षेत्र में पढ़ा जाता था और सराहा भी जाता था।
उनकी लेखनी की धार जहाँ पर समाज मे पनपने वाली बुराइयों पर कड़ा प्रहार करती थी वहीं पर दूसरी तरफ हमारे समाज मे एक जागरूकता अभियान का भी अलख जगाती थी। समाजसेवा का जज्बा भी उनके अंदर उतना ही अटूट था जितनी बौद्धिकता वह अपने रिसर्च वर्क से लोंगो को समाज में देते थे, तर्कशक्ति के तो विद्वान थे ही और अपनी गुरु-शिष्य परम्परा निभाने में भी निपुण थे। उनके योगदान को बिलासपुर में भुलाया नहीं जा सकता है। बिलासपुर की कहलूरी और पहाड़ी भाषा मे गढ़े उनके जुमले और मुहावरे हमेशा आपसी भाईचारे का संदेह तो देते ही थे लेकिन यहां की गंगा जमुनी तहजीब को भी उचित स्थान मिलता था। एक विलक्षण प्रतिभा के धनी और समाज मे समभाव हिंदी और अंग्रेजी की सरल शब्दावली में ढली उनकी खबरें हर पाठक की समझ से वाकफियत करवाती रहती थी। उन्होंने बहुत से पत्रकार बंधुओ को खबरों और साहित्य की शब्दावली में पुरोना सिखा कर गुरु-शिष्य परम्पराओं का निर्वहन भी किया था। यह एक ऐसे पत्रकार थे जो समाज सेवा के लिए 24×7 खड़े रहते थे। उनके समय मे गूगल का प्रयोग बहुत कम या न के बराबर ही होता था तब भी उनके जहन में सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक विश्लेषण को लेकर पुरानी से पुरानी खबरें भी उनके जहन में रहती थी और उन्हीं ऐतिहासिक खबरों के आदर पर वह नए नकोर विश्लेषण समाज को देते रहते थे।