हिमाचल प्रदेश में विधानसभा सत्र, 14 मार्च से शुरू होने जा रहा है। बताया जा रहा है इस बार विधानसभा सत्र हंगामेदार रहेगा क्योंकि पिछली सरकार ने जो 600 से अधिक संस्थान खोले थे उसे सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने बंद कर दिया है। यह मुद्दा इस बार विधानसभा में हंगामेदार रहेगा।
यह सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार का पहला बजट है । इस बजट सत्र में 18 बैठकों होंगी जो 6 अप्रैल को समाप्त होगी। मुख्यमंत्री जिनके पास वित्त विभाग भी है 17 मार्च को वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करेंगे।
इस बार विधानसभा में 600 संस्थानों को डिनोटिफाई करने के मुद्दे को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने होगी। राज्य की खराब वित्तीय स्थिति पर एक श्वेत पत्र पेश करके सरकार द्वारा भाजपा के हमले का मुकाबला करने की संभावना है।
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा, “इनमें से अधिकांश संस्थान पिछले छह महीनों में खोले गए और वह भी बिना किसी कर्मचारी या बजट प्रावधान के।”
जहां कॉन्ग्रेस, भाजपा सरकार पर गलत मिसाल कायम करने का आरोप लगा रही है, वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा है कि राज्य की वित्तीय व्यवस्था इन संस्थानों का बोझ नहीं उठाने देती।
संस्थानों को कैबिनेट की पूर्व स्वीकृति और जनहित में खोला गया था। उनके बंद होने से लोगों को असुविधा होगी, ”बीजेपी विधायक रणधीर शर्मा का दावा है।
पूर्व सीएम जय राम ठाकुर पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि सत्ता में वापसी पर इन संस्थानों को बीजेपी फिर से खोलेगी।
लोकसभा चुनाव से पहले लोगों को किए गए 10 वादों को पूरा नहीं करने पर भी भाजपा कांग्रेस से जवाबदेही मांगेगी।
यह 18 से 60 वर्ष की आयु की महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक सहायता, एक लाख नौकरियां और लोगों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने के मुद्दे पर जवाब मांगेगा। पेपर लीक मामले के बाद हमीरपुर में कर्मचारी चयन बोर्ड को खत्म करने का मुद्दा भी सदन में जोर-शोर से उठाए जाने की संभावना है।