● फीका रहा पर्व ,नहीं दिखी रौनक
उपमंडल मुख्यालय आनी से तेरह किमी दूर चवाई के धोगी में बूढ़ी दिवाली का मंगलवार को विधिवत समापन हो गया । कोरोना के चलते इस पर्व में देवता से जुड़े आवश्यक रस्मों को ही पूरा किया गया ।इस बार दिवाली पर्व की रौनक फ़ीकी पड़ गई।
दिवाली में केवल समिति लोगों ने ही आकर शमशरी महादेव का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस पर्व में क्षेत्र की पांच पंचायतों के लोग हिस्सा लेते थे। दिनभर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दौर चला रहता था वहीं,स्कूली बच्चों समेत विभिन्न सांस्कृतिक दल अपनी प्रस्तुतियां पेश करते थे ।
जगह-जगह से व्यापारी आकर इस मेले की शोभा को बढ़ाते थे ।
लेकिन इस बार केवल रीति-रिवाज़ों के अनुसार लोगों ने सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए सोमवार रात को मंदिर के चारों और मशालें लेकर परिक्रमा की और प्राचीन पारम्परिक गीत गाए ।
वहीं,सुबह पूजा-अर्चना के बाद दोपहर को बागड़ी से बनी घास के रस्से को परम्परा के अनुसार खींचा जो देव-दानव युद्ध का प्रतीक है ।
शमशरी महादेव समापन अवसर पर श्रदालुओं संग परम्परा अनुसार प्राचीन मंदिर परिसर में थोड़े समय नाचे । क्षेत्रवासियों ने नम आंखों से क्षेत्र के आराध्य देव शमशरी महादेव को विदा किया और कोरोना जैसी महामारी से जल्द छुटकारा दिलाने व क्षेत्र की सुख-समृद्धि की कामना की।
बता दें,शमशरी महादेव क्षेत्र के आराध्य देव है । ये चार गढ़ों के प्रसिद्ध गढ़पति देव है । इनका इतिहास हज़ारों वर्षों पुराना है।
मंदिर व देवता का सारा इतिहास टांकरी लिपि में लिखा गया है विक्रमी संवत के अनुसार सन 57 (विक्रम संवत 2076 में 2019) में इसका पुनर्निमाण किया गया ।
आनी उपमंडल में लगने वाला जिला स्तरीय मेला भी शमशरी महादेव की देन है वहीं सात वर्षों बाद क्षेत्र में अलग अलग जगहों पर देवता के सम्मान में मेले और त्यौहार आयोजित होते हैं । शमशरी महादेव के पास किसी समय 2200 बीघा जमीन थी जो मुजरा कानून लगने के बाद अपने भक्तों में बांट दी गई । देवता इतने तपस्वी की है कि क्षेत्र में भयंकर महामारी,बाढ़ ,सूखा समेत अन्य संकटों में क्षेत्रवासियों की रक्षा करते हैं।