भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की राज्य कमेटी के द्वारा त्रिपुरा में लोकतंत्र की बहाली व वहां निष्पक्ष चुनाव को लेकर भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को उपायुक्त के माध्यम से एक ज्ञापन प्रेषित किया गया.
इसके माध्यम से भारत चुनाव आयोग से मांग की गई कि त्रिपुरा में निष्पक्ष चुनाव व त्रिपुरा की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए तुरन्त ठोस कदम उठाकर कार्यवाही करें.
त्रिपुरा में 16 फरवरी, 2022 को मतदान होना है. परन्तु चुनाव की घोषणा के बाद से ही विपक्षी पार्टियों के नेताओ व कार्यकर्ताओं विशेष रूप से सीपीएम के विरुद्ध हिंसा व हमले बड़े पैमाने पर बड़े हैं और हिंसा की यह घटनाएं भारत चुनाव आयोग के प्रतिनिधिमंडल के द्वारा त्रिपुरा दौरे के दौरान निष्पक्ष चुनाव के आश्वासन के पश्चात भी जारी है.
त्रिपुरा के मुख्य चुनाव अधिकारी के द्वारा निष्पक्ष चुनाव के प्रयासों के बावजूद भी प्रशासन, विशेष रूप से पुलिस प्रशासन निष्पक्ष रुप से कार्य नही कर रहा है और सत्ता दल के प्रभाव में कार्य कर रहा है.
जैसे जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है हिंसा व उपद्रव की घटनाए बड़ रही है. विपक्षी पार्टियों के कार्यालयों में तोड़फोड़, नेताओं व कार्यकर्ताओं पर हमले निरंतर जारी है. गत पांच वर्षो में त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार के गठन के पश्चात से ही बीजेपी के द्वारा हिंसा व राजनीतिक हत्याओं का दौर चल रहा है और ऐसे हिंसा व उपद्रव के दौर में निष्पक्ष चुनाव संभव ही नहीं है.
सीपीएम इस ज्ञापन के माध्यम से मुख्य चुनाव आयुक्त से मांग करती है कि त्रिपुरा में निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए तुरन्त ठोस उपयुक्त कदम उठाए और त्रिपुरा में लोकतंत्र की बहाली कर जानता के जनवादी व संवैधानिक अधिकार सुरक्षित करे.
आज बीजेपी की इस प्रकार की अराजक गतिविधियों के चलते देश के संविधान व लोकतंत्र को बड़ा खतरा पैदा हो गया है और इनकी सांप्रदायिकता की राजनीति व देश के लोकतंत्र व संविधान के विरुद्ध हमले से देश की एकता व अखंडता के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है.