शिमला
प्रदेश विधानसभा के सोमवार से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र में विपक्ष दल कांग्रेस ने सरकार को घेरने के लिए आक्रामक रुख अख्तिायर करने की रणनीति तैयार की है। इसी कड़ी में रविवार देर शाम नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में कांग्रेस विधायक दल की बैठक शिमला में हुई। इस बैठक में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला, सह प्रभारी संजय दत्त और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर भी मौजूद रहे। इस अवसर पर विपक्ष दल ने ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को घेरने का निर्णय लिया। मुख्य रूप से कांग्रेस सदन में महंगाई, बेरोजगारी, आपदा व बरसात से हुए नुक्सान, फिजूलखर्ची, प्रदेश पर बढ़ते कर्ज, कोरोना काल में अव्यवस्था, कानून व्यवस्था व कथित भ्रष्टाचार जैसे ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को घेर सकता है।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सदन में जनहित में जुड़े मुद्दों को उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है। जनता से किए वायदे पूरे नहीं किए गए हैं। महंगाई के तमाम रिकॉर्ड टूट चुके हैं। चोर दरवाजे से चेहतों को नौकरी बांटी जा रही है। खनन, शराब, ट्रांसफर, ठेकेदार माफिया दनदना रहा है। पेगासस जासूरी विवाद सामने आया है। कर्मचारियों की अनदेखी हो रही है। आऊटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति बनाने को लेकर सरकार का रवैया स्पष्ट नहीं है। ओल्ड पैंशन बहाली, वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के साथ करुणामूलक के मुद्दे को सदन में उठाया जाएगा। कोविड डैथ के केसों में हेर-फेर हो रही है। जनजातियों इलाकों में चुनाव नहीं करवाए गए और जनप्रतिनिधियों की शक्तियां अध्यापकों को सौंप दी गई हैं। उन्होंने कहा कि जनता से जुड़े मुद्दों पर सरकार को सदन में जवाब देना होगा।
हिमाचल की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सदन में नजर नहीं आएंगे, ऐसे में विपक्ष दल कांग्रेस को सदन में उनके मार्गदर्शन के बिना सताधारी दल भाजपा को घेरने की राह भी आसान नहीं होगी। सदन में वीरभद्र सिंह की मौजूदगी हमेशा कांग्रेस को ताकत प्रदान करती थी और सामने वाले दल के नेताओं में भी उनकी मौजूदगी का असर देखने को मिलता था लेकिन अब सदन में वीरभद्र सिंह की हाजिर जवाबी देखने को नहीं मिलेगी। हिमाचल की राजनीति में वीरभद्र सिंह को लोहा विरोधी दल भी मानते थे। सदन में कई दफा वीरभद्र सिंह अकेले ही सब पर हावी पड़ जाते थे। जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाने और पलटवार करने में वे माहिर थे, ऐसे में देखना होगा कि मानसून सत्र के दौरान सदन में वीरभद्र सिंह के बिना किस तरह विपक्ष अपनी छाप छोड़ता है।