मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्री के निवास पर बनीं नव ग्रह वाटिकाओं की फाइल फिर खुल गई है। इस फाइल पर अब गोपनीय जांच बैठाई गई है। यह मामला मुख्यमंत्री के शिमला स्थित सरकारी आवास ओक ओवर का है। आरोप है कि पिछली जयराम सरकार के समय नियमों को दरकिनार कर इन वाटिकाओं का लाखों रुपये की फिजूलखर्ची कर कोर एरिया में अनधिकृत निर्माण किया गया।
कुछ समय पहले वन विभाग के अधिकारियों ने इस फाइल को दफन कर दिया था। अब एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आरटीआई एक्ट के तहत इस संबंध में सूचना मांगी तो राज्य सचिवालय के अनुभाग अधिकारी वन-बी ने जानकारी दी है कि इस मामले की जांच चल रही है, मगर यह गोपनीय है।
पिछली जयराम सरकार में प्रधान सचिव वन रहे ओंकार शर्मा ने इस संबंध में प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन को इस संबंध में मिली एक शिकायत की जांच करने और उपयुक्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। इस बारे में अनुपालना रिपोर्ट भी तलब की गई थी। उस समय ओक ओवर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का सरकारी निवास था। अब इसमें मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू रह रहे हैं।
तत्कालीन वन मंत्री राकेश पठानिया के सरकारी आवास पर तो ओकओवर से पहले ही नवग्रह वाटिका बना दी गई थी। इन दोनों ही वाटिकाओं की शिकायत हुई थी। बीच में यह जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई थी और कुछ अधिकारी इसे बंद करने की तैयारी में भी थे।
इसी बीच शिकायतकर्ता बृज लाल ने इस पर आरटीआई एक्ट के तहत जांच के बारे में जानकारी मांगी है। इस नवग्रह वाटिका में ग्रहों के हिसाब से पौधारोपण किया गया है। इसके लिए कंक्रीट का इस्तेमाल कर निर्माण किया गया है। शिकायतकर्ता ने सवाल उठाया था कि आम आदमी के लिए जहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर रोक है, वहीं प्रभावशाली लोगों के लिए इस बारे में कोई तय नियम नहीं हैं।
जांच बैठाए जाने के बाद तत्कालीन वन मंत्री राकेश पठानिया ने अफसरशाही को निशाने पर लिया था और कहा था कि अधिकारियों के पास कोई काम नहीं है। वह एक नहीं, अनेक नवग्रह वाटिकाएं बनाएंगे। उन्होंने किसी भी तरह के अनधिकृत निर्माण से इनकार किया था।