वन माफिया पर लगाम कसने के दृष्टिगत करीब 40 वर्ष पहले वन विभाग द्वारा यशवंतनगर में स्थापित बैरियर किया गया था जोकि वर्तमान में सफेद हाथी बन चुका है। इस बैरियर पर पिछले करीब तीन दशक से अवैध लकड़ी का कोई भी केस नहीं पकड़ा गया है जबकि यह बैरियर चौबिस घंटे क्रियाशील है जिस पर एक डिप्टी रैंजर, एक फोरेस्ट गार्ड के अतिरिक्त चार फोरेस्ट वर्कर तैनात किए गए है जिनका प्रतिमाह करीब अढाई लाख का वेतन का खर्चा सरकार को वहन करना पड़ता है । बता दें कि 60 के दशक में अपर शिमला व सिरमौर के उपरी क्षेत्रों से लकड़ी का बहुत कारोबार होता है ।
ठेकेदार वनों को काटकर उसके शहतीर बनाकर गिरी नदी में घाल अथवा ट्रकों को माध्यम से हरियाणा की यमुनानगर मार्किट में पहंुचाते थे । उन दिनों वन माफिया भी काफी सक्रिय हुआ करते थे जिसके चलते वन विभाग द्वारा यशवंतनगर में बैरियर स्थापित किया गया था।
गौर रहे कि इस बैरियर पर चकमा देकर बाघ व चीता की खाल के तस्करों को सोलन पुलिस द्वारा अनेको बार पकड़ा है । परंतु काफी अरसे से इस बेरियर पर अवैध लकड़ी, जानवरों की खाल, जंगली जड़ी बूटियों का अवैध कारोबार इत्यादि का कोई मामला नहीं पकड़ा गया है । एक ओर जहां सरकार द्वारा माली हालत को देखते हुंए अनेक खर्चों में कटौती की गई है वहीं पर इस बैरियर पर तैनात कर्मचारियों के वेतन का बोझ सरकार को वहन करना पड़ रहा है । बैरियर पर तैनात कर्मचारियों का कहना है कि वनों के कटान पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के उपंरात पिछले काफी वर्षों से लकड़ी की अवैध तस्करी बंद हो गई है जिस कारण अवैध लकड़ी का कोई भी मामला प्रकाश में नहीं आया है ।
डीएफओ राजगढ़ संगीता महाला से जब इस बारे बात की गई तो उन्होने बताया कि लकड़ी के अवैध कारोबार को रोकने के लिए बैरियर का होना जरूरी है और बैरियर के नाम पर वन माफिया में भय भी रहता है ।