राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल की अध्यक्षता में आज राजभवन में कृषि विभाग के उच्च अधिकारियों की एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में राज्य में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यान्वयन के बारे में राज्यपाल को विस्तृत जानकारी दी गई।
इस अवसर पर, राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक उत्पाद की मांग अधिक बढ़ी है और इससे किसानों को भी व्यापक लाभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि के परिणामों को देखा जाए तो यह कृषि कई मायनों में फायदेमंद है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती तकनीक विकास के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहभागिता, प्रतिक चिन्ह (लोगो), ब्रैंडिंग व् पैकिंग सामग्री विकास, छात्रों व प्रशिक्षुओं के लिए फैलोशिप कार्यक्रम जैसे नवीन प्रयास प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में कारगर सिद्ध होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश तेजी से रसायनमुक्त खेती की ओर बढ़ रहा है। प्राकृतिक कृषि के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य के लिए उत्तम उत्पाद, पर्यावरण संरक्षण तथा किसानों को उनके उत्पाद का अच्छे मूल्य मिल सके इसके लिए प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
उन्होंने विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में किसान प्राकृतिक खेती विधि को अपना रहे हैं और अभी तक 1.59 लाख किसान-बागवान 19320 हैक्टेयर पर इस तकनीक से विविध फसलें ले रहे हैं।
बैठक के दौरान सचिव कृषि राकेश कंवर ने राज्यपाल को प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अधिकतर छोटे और सीमांत किसान हैं जो इस विधि के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 को मनाने के लिए पोषक अनाजों के संवर्धन के लिए कृषि विभाग की ओर से तैयार किए टेबल कैलेंडर, व्यंजन पुस्तिका और विवरणिकाओं तथा प्राकृतिक खेती के उत्पादों को राज्यपाल को भेंट किया।
इस अवसर पर, प्राकृतिक खेती की राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई से प्रधान वैज्ञानिक डॉ. मनोज गुप्ता ने योजना पर एक प्रस्तुतिकरण देकर राज्यपाल को इसकी प्रगति एवं प्रभावों से अवगत करवाया।
इस मौके पर राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा, प्राकृतिक खेती के राज्य परियोजना निदेशक नरेश ठाकुर, कृषि निदेशक डॉ. राजेश कौशिक, संयुक्त कृषि निदेशक रविन्द्र सिंह जसरोटिया, तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
.0.