देवेंदर कुमार
सी बक्थोर्न नाम सुनते ही आपको लग रहा होगा कि यह समुद्र में पाया जाने वाला कोई पौधा है। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो गलत हैं। यह स्पेशल पौधा हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में पाया जाने वाला औषधि का भंडार है। या यूं कहें कि यह एक संजीवनी है, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। चाइना में छरमा के 262 तरह के उत्पाद पाए जाते हैं। छरमा पूरे प्रदेश में केवल लाहौल-स्पीति में ही मिलता है। इस रसीले फल का इतिहास बहुत ही पुराना है। इसका सेवन करने से कई गंभीर बीमारियां जैसे कैंसर, डायबिटीज से निजात मिल जाता है। आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि यह दुनिया का ऐसा एकलौता फल है।
जिसमें ओमेगा 7 फैटी एसिड पाया जाता है। जिस तरह यह फल हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। उसी तरह की पत्तियां किसी चीज में कम नहीं है। इसके इतने अधिक स्वास्थ्य लाभ है कि आज के समय में 120 से अधिक वैज्ञानिक इसका अध्ययन कर रहे है। सी-बक्थोर्न में भरपूर मात्रा में ओमेगा फैटी एसिड 3, 6,7 और 9 होते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाया जाता है। इसके अलावा इसमें विटामिन सी, ई, अमीनो एसिड, लिपिड, बीटा कैरोटीन, लाइकोपीन के अलावा प्रोविटामिन, खनिज और बॉयोलॉजिकल एक्टिव तत्व पाएं जाते है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए एक बेहतरीन फल है।
जैसे ही आप लाहोल के सिसु पहुँचते हैं तो सड़क के दायें बाएँ छरमा के पौधे देखने को मिलते हैं। हमने पहली बार लाहौल में कार्यरत मित्र Bhim Chauhan और डॉ. Manoj Maverik के यहाँ इसके फलों के रस की चाय का स्वाद लिया था। जब इसके बारे में जानने की उत्सुकता हुई तो छरमा के उपरोक्त बहुत से औषधीय गुणों की जानकारी पता चली। स्थानीय निवासी इसका जूस निकालकर बेचते हैं। मनाली लेह मार्ग पर केलांग से कुछ किलोमीटर आगे गैमूर गाँव में 300 रुपये प्रति बोतल खरीदने को मिल जाएगी।