शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश भाजपा के स्वर्णिम हिमाचल दृष्टि पत्र-2017 में किए गए सभी वायदों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि हिमाचल प्रदेश के तीव्र विकास के साथ-साथ समाज के हर वर्ग का कल्याण सुनिश्चित हो सके।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस दृष्टि पत्र को नीतिगत दस्तावेज के रूप में अपनाया है और इसमें किए गए अधिकांश वायदों को पहले ही पूरा किया जा चुका है जबकि शेष पर प्राथमिकता से कार्य जारी है। इससे न केवल प्रदेश खुशहाली और स्वावलंबन की राह पर आगे बढ़ेगा बल्कि रोज़गार और स्वरो़गार के अवसर मिलने से युवा शक्ति का सशक्तिकरण भी होगा।
भारद्वाज आज यहां स्वर्णिम हिमाचल दृष्टि पत्र के कार्यान्वयन के लिए गठित मंत्रिमण्डलीय उप-समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे, जो इस समिति के अध्यक्ष भी हैं। बैठक में समिति के सदस्य वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर भी उपस्थित थे।
आबकारी एवं कराधान विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए सुरेश भारद्वाज ने कहा कि दृष्टि पत्र में विभाग को लेकर किए गए सभी वायदों को कार्यान्वित किया गया है। जीएसटी पंजीकरण के लिए वार्षिक सीमा 40 लाख रुपये तक बढ़ाई गई है और ई-टेंडरिंग को भी अनिवार्य बनाया गया है।
उन्होनं कहा कि दृष्टि पत्र के अनुसार, प्रदेश की सीमाओं से सटे टोल टैक्स बैरियरों पर हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत सभी छोटे वाहनों को टोल टैक्स से छूट प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, राज्य की शराब नीति में भी आमूलचूल परिर्वतन किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रदेश के व्यापारियों पर लागू जीएसटी स्तर को पहले 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया और उसके बाद जीएसटी पंजीकरण के लिए वार्षिक सीमा को 40 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, जीएसटी के तहत कम्पोजिशन योजना के लिए तय सालाना सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.50 करोड़ रुपये कर दी गई है।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि सरकारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने ई-टैंडर करना अनिवार्य बनाया है और अधिकांश विभागों में इसे लागू कर दिया गया है।
स्वर्णिम हिमाचल दृष्टि पत्र के लिए गठित उप-मंत्रीमंडलीय समिति के सदस्य सचिव और सचिव सामान्य प्रशासन देवेश कुमार ने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया।