शिमला 20 सितंबर
होनहार बीरवान के होत चिकने पात , अर्थात होनहार बच्चे के लक्षण बचपन से दिखाई देने लगते हैं । ऐसा ही एक जीवन्त उदाहरण है उभरता युवा कलाकार मनोज कुमार । जिसे गायन व हरमोनियम बजाने में महारत बचपन से हासिल है । हरमोनियम पर किसी भी गाने की धुन यह बालक बड़ी आसानी से निकाल लेता है । जब इसकी अंगुलियां हरमोनियम पर चलती है तो सामने वाला व्यक्ति इस बालक की प्रतिभा देखकर चकित हो जाता है । सबसे अहम बात यह है कि ढोलक अथवा तबला की ताल के साथ गाना और हरमोनियम बजाना बहुत कठिन होता है परंतु यह बालक जिस तन्मयता के साथ हरमोनियम के साथ गायन करता है ऐसा प्रतीत होता है कि यह कोई प्रोफेशनल कलाकार है ।
बता दें कि ग्रामीण परिवेश में युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है । अगर सही मार्गदर्शन मिल जाए तो सोने पे सुहागे वाली बात हो जाती है । मनोज कुमार पीरन पंचायत के धाली बागड़ा के एक साधारण परिवार से संबध रखता है । जुन्गा तहसील के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पीरन में मनोज कुमार 11वीं कक्षा का विद्यार्थी है । स्कूल के कार्यक्रमों में बढचढ़ कर भाग लेता है । स्कूल का हर शिक्षक इस विद्यार्थी की कला का कायल है । हाल ही में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जनेडघाट में संपन हुई मशोबरा खंड की खेलकूद प्रतियोगिता में मनोज ने बांका मुल्का हिमाचला गीत प्रस्तुत करके सैंकड़ों लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया । बांका मुल्का हिमाचला गीत डाॅ0 केएल सहगल का गाया हुआ तीन ताल का गीत है जिसे अच्छे अच्छे कलाकार गाने से परहेज करते हैं । हर कोई व्यक्ति मनोज के इस गीत व हरमोनियम की कला को देखकर दंग था । जिसके चलते मनोज को एकल गायन में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ और इसका समिति जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता के लिए चयन किया गया है ।
एक साक्षातकार में मनोज ने बताया कि छठी कक्षा में पढ़ाई करने के दौरान उन्होने घर पर अपने चाचा राजूराम को देखकर हरमोनियम बजाना सीख लिया था । बताया कि गांव में प्रतिदिन होने वाले कीर्तन भजन अथवा करियाला में वह बीते कुछ वर्षों से हरमोनियम बजाने का कार्य कर रहा है । हालांकि मनोज को अभी तक संगीत का बेसिक ज्ञान नहीं है इस बावजूद भी मनोज हरमोनियम बेहतरीन ढंग से प्ले करते हैं । इन्होने बताया कि उनका सपना एक उच्च कोटि का कलाकार बनना है जिसके लिए वह अब संगीत की आॅनलाईन क्लासें लेना आरंभ करेगें ।