जंगलों में लगी भयंकर आग आखिर शुक्रवार की रात्रि को बारिश होने से शांत हो गई है। डीएफओ शिमला सुशील राणा के अनुसार शिमला वन मंडल में 46 स्थानों पर आगजनी की घटनाएं पेश आई जिससे 187 हैक्टेयर वन संपदा को भारी नुकसान पहूंचा है । कहा कि अधिंकांश आगजनी की घटनाएं तारादेवी, जुन्गा, कोटी क्षेत्र के विभिन्न गांवों ं में घटित हुई है । इस आगजनी से वनों को ही नहीं अपितु लोगों की घासनियां को काफी नुकसान पहूंचा है जिससे इन क्षेत्रों में गर्मियों के दौरान मवेशियों के लिए चारा की भारी कमी आएगी।
डीएफओ का कहना है कि फोरेस्ट एक्ट के अनुसार वन क्षेत्र के साथ एक सौ मीटर के दायरे में लगती निजी भूमि पर आग लगाने के लिए वन विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य है क्योंकि लोगों द्वारा अपने खेतों में लगाई आग कई बार वन क्षेत्र में फैलकर अमूल्य वन संपदा को नष्ट कर देती है । वन में लगी आग से असंख्य वन्य जीव जंतु भी जिंदा ही आग की भेंट चढ़ जाते हैं । राणा ने कहा कि आग से वन संपदा बचाने के लिए लोगों को समय समय पर जागरूक किया जाता है और विभाग द्वारा आग पर निगरानी रखने के लिए शिमला वन मंडल में 52 फायर वाचर भी तैनात किए गए है ।
सुशील राणा ने बताया कि लोगों द्वारा कई बार अपने खेतों में झाड़ियों तथा चीड़ की पतिेयों को जलाने के लिए आग लगाई जाती है जिससे कई बार वन संपदा को काफी क्षति पहूंचती है । और कई बार शरारती तत्वों द्वारा भी जानबूझ कर वनों में आग लगाई जाती है । डीएफओ ने बताया कि सूखा पड़ने के कारण फायर सीजन इस वर्ष पहली अप्रैल से घोषित किया गया है जबकि फायर सीजन हर वर्ष 15 अप्रैल के बाद आरंभ होता था । कहा कि वन विभाग के सभी फील्ड कर्मचारियों की छुटिटयां रदद कर दी गई है तथा इन्हें अपने अपने क्षेत्र में तैनात रहने के आदेश दिए गए है।
आगजनी से शिमला डिविजन में 187 हैक्टेयर वन संपदा हुंई राख
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