शिमला
शहर में कूड़ा-कचरा उठाने वाले कई वाहन पुराने हो गए हैं। ऐसे में अब नगर निगम पुराने वाहनों को बदलने के लिए काम करने वाला है। नगर निगम अब 20 से 25 साल पुराने वाहनों को बदलने की तैयारी में है। जो वाहन चलने योग्य हैं, उन पर जीपीएस लगाने का काम भी किया जा रहा है। नगर निगम के पुराने वाहन अधिकतर खराब हो गए हैं। गारबेज कलेक्ट करते समय कई बार या कई कई दिनों तक वार्ड में ही गाड़ी खड़ी रहती है। इसके अलावा गाडिय़ों के खराब होने की शिकायतें भी आती रहती हैं। ऐसे में खराब गाडिय़ों को दुरुस्त करने में भी एमसी का काफी पैसा लग रहा है। कर्मचारियों की मानें तो पुरानी गाडिय़ों की एवरेज भी कम हो गई है। कई गाडिय़ां तो दो किलोमीटर की एवरेज दे रही हैं, जो निगम का फायदा कम तो नुकसान अधिक कर रही हंै।
ऐसे में आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने सभी गारबेज कलेक्टर गाडिय़ों की रिपोर्ट मांग ली है और सभी गाडिय़ों में जीपीएस सिस्टम लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं। यहां तक की अगले सप्ताह तक सभी गाडिय़ों में जीपीएस सिस्टम लग जाएगा। छोटे वाहन यानी पिकअप गाडिय़ां संपर्क मार्गों से कूड़ा एकत्र कर मुख्य मार्ग तक ही पहुंचाएंगे, उसके बाद एमसी के कंपेस्टरों में कूड़ा डाला जाएगा। एमसी का कहना है कि एक कंपेस्टर में सात पिकअप का कूड़ा भरता है। कंपेस्टर के चलने से एमसी को कम खर्च होगा। ऐसे में एमसी ने फैसला लिया है कि छोटे वाहन सिर्फ मुख्य मार्ग तक ही कूड़ा एकत्र करेंगे और कंपेस्टर के जरिए मुख्य कूड़ा संयंत्र भडय़ाल तक ले जाएंगे। यानी छोटा वाहन अब भडय़ाल नहीं जाएंगे। इससे जहां शहर की सडक़ों में जाम की समस्या से निजात मिलेगी, वहीं एमसी का डीजल का खर्चा भी कम होगा।
नगर निगम द्वारा गाडिय़ों में जो जीपीएस लगाए जा रहे हैं। उनसे एमसी को यह पता चलेगा कि कौन सी गाड़ी कहां है और कितनी किलोमीटर चली है। इसके अलावा गाड़ी में क्या खराबी है और उसकी एवरेज कितनी है। इसके साथ ही वर्तमान समय का भी पता लगेगा। इससे शहर में सभी गाडिय़ों की मॉनिट्रिंग होगी। एमसी प्रशासन भी इस काम को शीघ्रता से लागू करने जा रहा है। इससे निगम के चालकों पर भी नजर रहेगी।
भूपेंद्र अत्री, आयुक्त, एमसी शिमला ने कहा हम गारबेज कलेक्टर सभी गाडिय़ों पर जीपीएस लगाने वाले हैं। जो खराब और बहुत पुराने वाहने हैं, उन्हें जल्द ही हटाया जाएगा, ताकि एमसी को कोई नुकसान न हो। हमने फैसला लिया है कि छोटे वाहन सिर्फ वार्डों से कंपेस्टर तक ही कूड़ा लांएगे। उसके बाद कूड़ा संयंत्रण केंद्र तक हमारे सिर्फ बड़े वाहन ही जाएंगे।