शिमला 25 नवंबर । केंद्र सरकार द्वारा किसानों से किए गए वायदों से पीछे हटने के विरोध में और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, किसानों की संपूर्ण कर्ज मुक्ति के समर्थन में 26 नवम्बर को संयुक्त किसान मोर्चा, हि.प्र राजभवन मार्च करेगा और राज्यपाल की मार्फत राष्ट्रपति को ज्ञापन देगा। इसके साथ-साथ हिमाचल प्रदेश की किसानी और बागवानी की समस्याओं से भी राज्यपाल को अवगत करवाया जाएगा।
किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ0 कुलदीप तंवर ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर किसानों के आन्दोलन के बाद केन्द्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापिस लिया था। किसानों ने आन्दोलन खत्म करने के लिए अपनी मांगें रखी थीं जिन्हें पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार ने अपनी सहमति जताई थी। परन्तु आन्दोलन समाप्त होने के लगभग एक साल बाद भी केन्द्र सरकार ने उस पर कोई कार्यवाही नहीं की।
डाॅ0 तंवर ने बताया कि . स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर सभी फसलों के लिए सी-2़50 फीसदी के फार्मूला से एम.एस.पी. की गारंटी का कानून बनाया जाए। खेती में बढ़ रहे लागत के दाम और फसलों का लाभकारी मूल्य नहीं मिलने के कारण 80 फीसदी से अधिक किसान भारी कर्ज में फंस गए हैं और आत्महत्या करने को मजबूर हैं। ऐसे में सभी किसानों के सभी प्रकार के कर्ज माफ किए जाएं। इसके अतिरिक्त . बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए।
इनकी मांगों में लखीमपुर खीरी जिला के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए। इसके अतिरिक्त लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जो निर्दोष किसान जेल में कैद हैं, उनको तुरन्त रिहा किया जाए और उनके ऊपर दर्ज फर्जी मामले तुरन्त वापस लिए जाएं। सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि, फसल संबंधी बीमारी, आदि तमाम कारणों से होने वाले नुकसान की पूर्ति के लिए सरकार सभी फसलों के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा लागू करे।. सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को 5000 प्रति माह की किसान पेंशन की योजना लागू की जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि सरकार अपने वादे और किसानों के प्रति जिम्मेदारी से मुकरना जारी रखती है तो किसानों के पास आंदोलन को तेज करने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचेगा।