क्रेजी न्यूज/लाहौल-स्पीति
तन्जिन वंगज्ञाल
हिमालय के बर्फ़ के वादियों से ढके गांव जहां आज भी अपनाते हैं पौराणिक खान पान। देवभूमि हिमाचल के गोद में बसा जड़ी बूटियों और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण स्वच्छ और सोन्दर्य से परिपूर्ण का श्रय स्पीति के तोद वेली के क्यामो गांव को हैं।
सुविधाएं मिलने पर बालीवुड फिल्म निर्माताओं को भी बाहरी देशों में बर्फ़ व प्राकृतिक सौंदर्य फिल्माने में बारी ख़र्चे से निजात मिलेगी! पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हो सकता है क्यामो गांव। बता दें कि इस गांव का आय का साधन खैती बाड़ी से आती है, यहां मुख्य फसलें जों,काला मटर, हरा मटर, आलू की बिजाई होता है। गांव के लोग आज भी जों बारले फलौर के दानें को तवे में तला कर चक्की में पिसकर विटामिन युक्त पोष्टिक सम्पा खाते हैं। सर्दियों के छह महीने तक बर्फ़ पड़ता है।
स्थानिय गांव वालों का कहना है कि ईश्वर करें किसी को बीमारी नहीं हो, लेकिन गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होने से छोटे से छोटे बीमारी जुखाम सिरदर्द खांसी होने पर सर्दियों के पांच छह फुट बर्फबारी को चीरते हुए सात आठ किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।डेढ़ सौ से भी ज्यादा आबादी के क्यामों वासियो का कहना है आज भी पक्के सड़कें और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए सरकार से उम्मीद लेकर बेठे है।










