*आईजीएमसी में प्रदेश के मुख्यमंत्री का इलाज सही नहीं होता तो, आम आदमी का कैसे होगा, बदहाल हैं प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं:गौरव शर्मा,आप प्रदेश प्रवक्ता
शिमला, 26 अगस्त, 2022
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता गौरव शर्मा ने आज शिमला में पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जो गारंटी देते हैं उसे सरकार बनने पर पूरा करते हैं। दिल्ली की जनता को गारंटी दी तो पूरा किया। अब पंजाब में सरकार बनने के बाद गारंटियों को पूरा किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश की जनता को भी केजरीवाल की ओर से दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बीते कल,स्वास्थ्य की गारंटी दी है। जिसमें हिमाचल के हर व्यक्ति को फ्री और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएंगी। दवाईयां, टेस्ट और आपरेशन फ्री में होंगे। अस्पातालों को बेहतर किया जाएगा और नए अस्पताल खोले जाएंगे, हर वार्ड और गांव में मोहल्ला क्लीनिक खोले जाएंगे और हिमाचल में एक्सीडेंट में घायलों का पूरा इलाज मुफ्त में किया जाएगा। गौरव शर्मा ने कहा,आम आदमी पार्टी जो गारंटी देती है उसे पूरा करती है। दिल्ली और पंजाब के बाद अब हिमाचल की बारी है। यहां पर आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर हिमाचल के सभी लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
*आईजीएमसी में प्रदेश के मुख्यमंत्री का इलाज सही नहीं होता तो आम आदमी का कैसे होगा, बदहाल हैं प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं*
गौरव शर्मा ने कहा कि प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान शिमला के आईजीएमसी में प्रदेश के मुख्यमंत्री का इलाज सही नहीं होता है। मुख्यमंत्री को गलत इंजेक्शन लगा दिया जिससे उन्हें अपना इलाज दिल्ली के एम्स में जाकर कराना पड़ा। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम आदमी का इलाज कैसे होता होगा। आईजीएससी में अधिकांश समय सीटी स्कैन मशीन और एमआरआई की मशीन खराब रही है। मशीनों में यह खराब जानबूझकर प्राइवेट लैबोटरियों को फायदा पहुंचाने की लिए की जाती है। जिससे सरकारी अस्पताल में जांच नहीं होगी तो लोग जान बचाने के प्राइवेट में कराएंगे। गौरव शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि शिमला में मेडिकल के क्षेत्र में बहुत बड़ा रैकेट काम कर रहा है। जिससे अस्पताल में मरीजों का न तो टेस्ट होता है और न ही दवाइयां मिलती हैं । राजधानी शिमला के साथ ही पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल है। डॉक्टरों की कमी हर जगह है। ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पताल में भी न तो टेस्ट होते हैं और न ही दवाइयां मिलती है। जिससे मरीजों को परेशान होकर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाना पड़ता है।