फर्जी डिग्री मामले में सोलन की मानव भारती यूनिवर्सिटी के बाद अब हिमाचल पुलिस ने शिमला की एपी गोयल शिमला यूनिवर्सिटी की जांच शुरू कर दी है। मामले में पिछले साल सितंबर महीने में आई एक शिकायत पर नौ महीने तक बैठे रहने के बाद शिमला पुलिस को इस विश्वविद्यालय पर लगे आरोप की जांच की याद ऐसे समय में आई है जब हाल ही में हिमाचल प्रदेश निजी शैक्षणिक संस्थान नियामक आयोग ने विभिन्न तरह के आरोपों के बीच इस संस्थान में नए प्रवेश पर रोक लगा दी है।
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जानकारी के अनुसार वाराणसी के मूल निवासी व विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर आरके सिंह ने पिछले साल सितंबर महीने में शिमला के पूर्वी थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि विश्वविद्यालय फर्जी डिग्री बांटने के काम में लगा हुआ है। उन्होंने संस्थान के कुलपति का नाम लिखकर भी आरोप लगाए थे कि वह खुद फर्जी डिग्री बांटने के काम में संलिप्त है। गंभीर आरोप के बावजूद शिमला पुलिस ने शिकायत रिसीव तो कर ली लेकिन जांच करने के बजाय उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया।
अब नियामक आयोग की कार्रवाई के बीच शिमला पुलिस को फिर से उस मामले की याद आई है।
सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने आरके सिंह से संपर्क कर जांच में शामिल होने के लिए बुला लिया है। हालांकि कोविड की वजह से फिलहाल सिंह के आने की संभावना कम है। ऐसे में पुलिस अब संस्थान से ही शिकायत में लगे आरोपों पर जवाब तलब करने की तैयारी कर रही है।
पत्र में सिंह ने आरोप लगाए थे कि उन पर फर्जी डिग्री बनाने के लिए वाइस चांसलर दबाव डालते हैं। फर्जी डिग्री जारी करने से इंकार करने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया। उन्होंने मांग की थी कि पुलिस फर्जी डिग्री मामले में विश्वविद्यालय की जांच करे। इस शिकातय को शिमला के पूर्वी थाना के कर्मचारियों ने रिसीव भी किया था।
आरोप लगाने वाले पूर्व प्रोफेसर ने फर्जी डिग्री मामले से जुड़ी एक अन्य शिकायत की जांच कर रही सीआईडी से भी संपर्क साधा है। उन्होंने सीआईडी को कुछ दस्तावेज भी दिए हैं और जांच में सहयोग का आश्वासन भी दिया है।