हिमाचल के मंडी के जिले की बल्ह तहसील के कैंहचडी गांव में कुछ ऐसा वाकया सामने आया जिसने सबके दिलो को चिछूड के रख दिया।
बता दे कोरोना वायरस के संक्रमण से जहाँ लोगों में डर का माहौल पैदा होगया है वहीं अब लोग किसी के अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हो रहे हैं। कैंहचडी गांव में भी कुछ ऐसा ही माहौल सामने आया। यहां एक 31 वर्षीय युवक की कोरोना के कारण से मौत हो गई थी। न तो रिश्तेदार आए और न ही पड़ोसी। क्योंकि यह गांव पहले से कंटेनमेंट जोन में प्रशासन के द्वारा रखा गया है।
युवक की अर्थी को कंधा देने के लिए भी चार लोग नसीब नहीं हुए। इसके बाद पत्नी ने किसी तरह कुछ रिश्तेदारों की मदद से शव को श्मशान घाट पहुंचाया और शादी का लाल जोड़ा पहनकर खुद ही पति की चिता को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार पूरा किया। शुक्रवार को युवक की तेरहवीं की रस्में पत्नी ने गांव के खुले स्थान पर पीपल के पेड़ के नीचे खुद निभाई।
हालांकि इस दौरान कोविड नियमों का उसने बखूबी पालन किया और सामाजिक दूरी कायम रखी। गांव के 31 वर्षीय युवक अजीत सेन की पंजाब के पटियाला अस्पताल में कोरोना के कारणों से मौत हो गई थी। लेकिन पति की मौत पर 24 वर्षीय इंजीनियर अनु सेन का हौसला नहीं टूटा। अजीत सेन चंडीगढ़ की एक निजी कंपनी में मैनेजर की नौकरी करता था। गत 18 अप्रैल को उसे हल्की खांसी की शिकायत हुई, जिसके लिए उसने चंडीगढ़ के अस्पताल में उपचार लेना चाहा, लेकिन डॉक्टरों ने उसे कोरोना टैस्ट करने की सलाह दी। जिस पर वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद वह अपने किराए के मकान में आइसोलेट हो गया।
24 अप्रैल को होम आइसोलेशन में उसकी तबीयत बिगड़ गई और ऑक्सीजन का स्तर गिर गया। पत्नी अनु सेन ने पति को चंडीगढ़ के ठगोली अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां तबीयत में सुधार नहीं होने से उसे मोहाली रैफर किया गया। लेकिन वहां के डॉक्टरों ने अजीत सेन को पटियाला के एक बड़े अस्पताल में रैफर कर दिया जहां 25 अप्रैल को पटियाला अस्पताल के वेंटिलेटर में उपचार के दौरान उसके पति की मौत हो गई।
पत्नी अनु सेन पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। पति का शव लेकर पटियाला से गांव तक ले आयी। वहां कोरोना महामारी के बीच उसने रिश्तेदारों और आस-पड़ोस के लोगों के नजरिए का दंश जाना। जहां शव यात्रा में शामिल होने के लिए गांव से लेकर प्रशासन का एक भी आदमी नहीं आया। शव जलाने के लिए कुछ ग्रामीणों ने जरूर मदद की लेकिन वे भी लकडि़यां घाट पर छोड़ कर शव आने के बाद गायब हो गए।
पंचायत और प्रशासन ने नहीं की मदद
मृतक अजीत सेन के पिता प्रकाश सेन ने बताया कि बेटे के अंतिम संस्कार के लिए पंचायत और प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की। वर्षों तक देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सेवानिवृत्त नायब सूबेदार के साथ यह अमानवीय व्यवहार उन्हें अंदर से कटोच रहा है।
उन्होंने बताया कि बेटे के मृत होने की सूचना प्रशासन को दी गई थी लेकिन प्रशासन की ओर से शव जलाने के लिए लोग नहीं भेजे गए। केवल चार पीपीई किट भेजी गई उनमें भी खामियां थी। पिता ने इस व्यवहार के लिए गहरा दुःख व्यक्त किया है और उन लोगों का आभार जरूर व्यक्त किया जिन्होंने हौसला दिखा कर चिता के लिए लकड़ी मुहैया करवाई।