भारतीय संस्कृति में खेती को सर्वोत्तम व्यवसाय कहा गया है। कृषि क्षेत्र में आज भी करोड़ों लोगों को रोजगार देने का सामथ्र्य है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है। किसान पारम्परिक कृषि से हटकर नकदी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं जिससे उनकी आर्थिकी में आशातीत बदलाव आ रहा है।
सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरियां तलाशने के बजाय अगर युवा सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर नकदी फसलों की खेती करें तो वे घर में ही अच्छी आय अर्जित सकते हैं। कुल्लू शहर से सटे बदाह गांव की निशा ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है।
निशा देवी के पास ब्यास नदी के दाएं छोर पर लगभग पांच बीघा जमीन है। जमीन के इसी भू-भाग को उसने अपने परिवार की आजीविका का साधन बना लिया है। उसके सात सदस्यों वाले परिवार का भरण-पोषण इसी जमीन से हो रहा है। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी। उसके पति भी ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है। वह दिन-रात खेतों में काम करती है। परिवार के अन्य सदस्य भी खेती-बाड़ी में उसका सहयोग करते हैं। निशा का मानना है कि उसका परिवार दिन भर खेतों में काम करता है और सायंकाल अपने घर जाते हैं। इससे वे कोरोना महामारी के खतरे से भी दूर हैं।
निशा बताती है कि कुछ साल पहले तक वह केवल गेहूं और मक्की की फसल उगा रही थी। इससे साल भर का राशन तो पूरा हो जाता था लेकिन अन्य जरूरत की चीजें खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं होते थे। साथ सटे खेतों में लहसुन की अच्छी पैदावार देखकर निशा के मन में भी लहसुन की खेती करने की इच्छा जागृत हुई। पहले साल उसने थोड़ा से लहसुन का बीज खरीदा और जमीन के एक छोटे हिस्से में लगा दिया। दूसरे साल अब निशा के पास अपनी पूरी जमीन के लिए पर्याप्त बीज था। उसने पांच बीघा जमीन में लहसुन लगाया और दिन-रात मेहनत की। पिछले साल निशा ने लगभग दो लाख की कमाई लहसुन से की।
निशा ने बताया कि वह अपनी पांच बीघा जमीन में हर सीजन में 25 से 30 क्विंटल तक लहसुन की पैदावार कर रही है। स्थानीय सब्जी मंडी में लहसुन के अच्छे दाम मिल जाते हैं। निशा ने खेतों के किनारों पर नाशपाती, पलम व खुर्मानी के फलदार पौधे भी तेयार कर लिए हैं जो उसकी अतिरिक्त आय का जरिया बन रहे हैं। निशा के तीन बच्चे हैं। प्रांजल नौंवी कक्षा व श्रद्धा छठी मेें पढ़ती है। शिवांश अभी छोटा है। वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करना चाहती है। उसका कहना है कि अब लहसुन की खेती से इतनी आय हो जाती है कि वह बच्चों को कानवेन्ट स्कूल में पढ़ा सकती है।
निशा का कहना है कि किसानों के कल्याण के लिए कृषि और बागवानी विभाग के माध्यम से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से उन्हें काफी मदद मिल रही है और अब केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि योजना से भी उन्हें काफी प्रोत्साहन मिला है। वह कहती है कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर किसानों के हितों का ध्यान रखते हैं और कोरोना महामारी के संकट में भी उन्होंने किसानों व बागवानों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होने दी। वह इस साल भी लहसुन के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद कर रही है।
उधर, कृषि उपनिदेशक पंजबीर सिंह का कहना है कि कुल्लू जिला में लगभग 950 हैक्टेयर भूमि में लहसुन की खेती की जाती है जिसमें 19680 मीट्रिक टन से अधिक की पैदावार होती है। जिला में लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु है और यहां की मिट्टी भी इसके अनुकूल है। किसानों को लहसुन की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है जिससे उनकी आर्थिकी को संबल मिला है।
कोरोना की परछाई से दूर खेती-बाड़ी के कार्यों में व्यस्त रहती है निशा लहसुन की फसल से कर लेती है अच्छी-खासी कमाई
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