स्टॉफ के अभाव में छह दशक पुरानी डिस्पेंसरी हो सकती बंद
शिमला 14 जुलाई । वर्ष 1962 से पीरन पंचायत में कार्यरत आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी स्टाफ के अभाव में बंद होने के कागार पर आ गई है । इस डिस्पेंसरी का संचालन चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी द्वारा किया जा रहा है । बता दें कि करीब चार माह पहले सरकार ने इस डिस्पेंसरी में कार्यरत चिकित्सक का तबादला बिलासपुर कर दिया गया है। फार्मासिस्ट का पद बीते तीन वर्षों से रिक्त पड़ा है । इसी प्रकार प्रशिक्षित दाई का पद करीब तीन दशक से सरकार द्वारा नहीं भरा गया है । 70 के दशक में इस आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में चिकित्सक सहित चार कर्मचारी कार्यरत हुआ करते थे ।
गौर रहे कि वर्तमान सरकार द्वारा बिना स्टाफ के चल रहे आयुर्वेदिक संस्थानों को बंद करने की कवायद शुरू कर दी गई है । हाल ही में 56 आयुर्वेदिक संस्थानों को डिनोटिफाई करने की अधिसूचना जारी दी गई है । जिसे फिलहाल सरकार ने रोक लगा दी है । पीरन पंचायत के लोगों को यह भी डर सताने लगा है कि स्टाफ के अभाव में डिस्पेंसरी भी बंद न हो जाए। बता दें अतीत में इस डिस्पेंसरी में पीरन पंचायत के अलावा सतलाई, बलोग और सीमा पर लगती सिरमौर की कोटला बांगी पंचायत के लोग उपचार करवाने आते थे ।
पीरन पंचायत के पूर्व प्रधान दयाराम वर्मा और अतर सिंह ठाकुर, दौलत राम मेहता, पूर्व प्रधान कमलेश ठाकुर सहित अनेक लोगों से सरकार से इस डिस्पेंसरी में चिकित्सक व फार्मासिस्ट के पद को भरने की गंुहार लगाई गई है ताकि लोगों को इस डिस्पेंसरी के माध्ध्यम से उपचार करने की सुविधा मिल सके । इनका कहना है कि स्टाफ के अभाव में यदि इस आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी को बंद की गई तो पीरन पंचायत के लोग आन्दोलन करने से भी गुरेज नहीं करेगें । डिस्पेंसरी के कर्मचारी कमल वर्मा ने बताया कि इस डिस्पेंसरी में महीने में औसतन करीब अढाई सौ रोगी की ओपीडी होती है ।
जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ0 अश्वीन शर्मा ने बताया कि चिकित्सक का पद भरने बारे उच्चाधिकारियों के साथ उठाया गया है और फिलहाल इस डिस्पेंसरी को बंद करने बारे सरकार का कोई विचार नहीं है ।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के हवाले आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी पीरन
Leave a comment
Leave a comment










