शिमला
हिमाचल प्रदेश में अब अर्की को मिलाकर तीन विधानसभा और एक संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव प्रस्तावित हैं। मंडी संसदीय क्षेत्र के 17 विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर कुल 20 हलकों में निर्वाचन होने हैं, लेकिन केंद्रीय चुनाव आयोग (सीईसी) ने अब तक उपचुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया।
इस बीच चिकित्सक अगस्त के दूसरे पखवाड़े में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चेतावनी जारी कर चुके हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि राज्य में उपचुनाव का बिगुल कोरोना की तीसरी लहर के बीच बज सकता है। ऐसा हुआ तो चुनाव सुपर-स्प्रेडर का काम कर सकते हैं।तय अवधि में नहीं हो पाएंगे फतेहपुर विधानसभा हलके के उपचुनाव।
सीईसी द्वारा की जा रही देरी को देख ऐसा लग रहा है कि मानो फतेहपुर विधानसभा हलके के उपचुनाव तय अवधि में नहीं हो पाएंगे। फतेहपुर से विधायक सुजान सिंह पठानिया का निधन इसी साल 12 फरवरी को हुआ। कायदे से 6 महीने के भीतर उपचुनाव करवाने होते हैं। चुनाव के लिए करीब एक महीने का नोटिस देना होता है। इस दौरान चुनाव की तैयारियां, नामांकन, छंटनी, वापसी प्रक्रिया, मतदाता सूची तैयार करने जैसे काम किए जाते हैं। इससे फतेहपुर में 12 अगस्त तक नए विधायक का चयन मुश्किल नजर आ रहा है।
मंडी सीट सांसद रामस्वरूप शर्मा के 17 मार्च को निधन के बाद से खाली है। यहां भी सितम्बर तक चुनाव करवाने होंगे। जुब्बल-कोटखाई सीट सरकार में मुख्य सचेतक एवं विधायक नरेंद्र बरागटा के जून में निधन के बाद और अर्की सीट अब वीरभद्र सिंह के निधन के बाद खाली हो गई है। लिहाजा इन सीटों पर उपचुनाव की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन जिस तरह की देरी चुनाव की तारीखों के ऐलान में हो रही है, उससे ऐसा लग रहा है कि राज्य में उपचुनाव कोरोना की संभावित तीसरी लहर के बीच होंगे।
राज्य में जून के पहले सप्ताह में ही कोरोना के मामलों में कमी आना शुरू हो गई थी। जुलाई में अब कोरोना से स्थिति और भी बेहतर हो गई है। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कोरोना की तीसरी लहर से पहले राज्य में उपचुनाव करवा दिए जाएंगे। हिमाचल के साथ देश के सात अन्य प्रदेशों में भी उपचुनाव तय हैं। कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए सीईसी इन उपचुनाव को बीते 5 मई को स्थगित कर चुका है।