शिमला, भाजपा प्रवक्ता मोहिंद्र धर्माणी ने कहा हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू जनसरोकारों के प्रति लापरवाह मालूम पड़ते हैं। आज कारगिल दिवस को नजांदाज कर मुख्यमंत्री ने यह साबित कर दिया है।
सीएम का जनता और उसकी भावनाओं के प्रति नकारात्मक रुख कई बार सामने आ चूका है। मुख्यमंत्री कहते हैं की उन्होंने 97 % हिन्दू विचारधारा वाले राज्य में हिंदुत्व को हराकर जीत हासिल की है। इस तरह वे राज्य की बहुसंख्यक आबादी का अपमान करते हैं।
धर्माणी ने कहा की कारगिल विजय दिवस पर किसी भी समारोह में मुख्यमंत्री का ना जाना राज्य के वीर सैनिकों के प्रति खेदजनक है।
पूरा देश जहाँ अपने वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहा है, वहीं सुक्खू सरकार इस तरफ से उदासीन है।
उन्होंने कहा की हिमाचल प्रदेश वीर भूमि है और जब वीरों का सम्मान हिमाचल प्रदेश में नहीं किया जाता, तो वह वीर भूमि पर एक सवाल चिन्ह खड़ा कर देता है।
हिमाचल के 52 शुरवीरों ने मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दिया है उसमें कागड़ा से कैप्टन विक्रम बत्तरा, लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया, सिपाही बजिंद्र सिंह, सिपाही राकेश कुमार, लांस नायक वीर सिंह, सिपाही अशोक कुमार, सुनील कुमार, लखवीर सिंह, नायक ब्रह्म दास, सिपाही जगजीत सिंह, संतोख सिंह, सुरेंद्र सिंह, पदम सिंह, सुरजीत सिंह, योगिंद्र सिंह । मंडी से कैप्टन दीपक गुलेरिया, नायब सूबेदार खेम चंद राणा, हवलदार कृष्ण चंद, नायक सरवन कुमार, सिपाही टेक सिंह मस्ताना, राकेश कुमार चौहान, नरेश कुमार, हीरा सिंह, पूर्ण चंद, गुरदास सिंह। हमीरपुर: हवलदार कश्मीर सिंह, राजकुमार, सिपाही दिनेश कुमार, हवलदार स्वामी दास चंदेल, सिपाही राकेश कुमार, प्रवीण कुमार, सुनील कुमार दीप चंद । बिलासपुर से हवलदार उधम सिंह,नायक मंगल सिंह, सिपाही विजय पाल, राजकुमार, अश्वनी कुमार, पियार सिंह, मस्तराम । शिमला से सिपाही यशवंत सिंह, श्याम सिंह, नरेश कुमार और अनंत कुमार । सोलन से सिपाही धर्मेंद्र सिंह और राइफलमैन प्रदीप कुमार। ऊना से कैप्टन अमोल कालिया, राइफलमैन मनोहर लाल । सिरमौर से राइफलमैन कुलविंद्र सिंह, कल्याण सिंह। चंबा से सिपाही खेमराम और कुल्लू जिला से हवलदार डोला राम आते है।
धर्माणी ने सरकार को कारगिल दिवस की याद दिलाते हुए कहा कारगिल विजय दिवस को 24 साल पूरे हो रहे हैं । इस लड़ाई में हिमाचल ने सबसे ज्यादा शहादत दी है । वीर सपूतों की शहादत के इतिहास के पन्नों में कारगिल विजय दिवस हिमाचल के 52 शहीदों की वीरगाथा है । जब भी कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है तो हरेक हिमाचली का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है । कारगिल विजय दिवस भारत की एक बहुत बड़ी जीत थी। साल 1999 में कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान फौज को युद्ध में धूल चटा दी थी । कारगिल की लड़ाई पूरे 60 दिन तक चली और 26 जुलाई 1999 को यह युद्ध खत्म हुआ था, जिसके बाद से इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। युद्ध में भारत के 527 से अधिक वीर योद्धा शहीद व 1300 से ज्यादा वीर जवान घायल हुए थे । इस युद्ध में हिमाचल के दस जिलों से 52 रणबांकुरों ने वीरगति प्राप्त की । युद्ध के दौरान हिमाचल के सपूत जब तिरंगे में लिपटकर अपनी जन्मभूमि पहुंचे तो हरेक आंख नम थी। देश पर जान कुर्बान करने वाले इन 52 सूरमाओं के घरों में तो मातम था ही, लेकिन प्रदेश का कोई ऐसा घर नहीं था जो गम में न डूबा हो । कारगिल युद्ध को 24 साल हो गए हैं, लेकिन अपने लाल गंवा चुकी माताओं के आंसू आज तक नहीं सूख पाए । हर साल यह दिन गमगीन यादों को फिर से ताजा कर देता है। कारगिल विजय दिवस पर देशभर में सेना के सर्वोच्च सम्मान में कुल चार परमवीर चक्र मेडल घोषित किए गए, जिसमें दो हिमाचल के वीरों के नाम हैं । इसमें कैप्टन विक्रम बत्तरा मरणोपरात और सूबेदार संजय कुमार जीवित को परमवीर चक्र से नवाजा गया।