हमीरपुर, 9 नवंबर
पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा हाल ही में जारी किए गए अपनी तरह के एक अनूठे फरमान से मुख्यमंत्री की छवि की पोल खुल गई है और यह ढोल की पोल खुद सरकार की आंख, कान और जुबान कहे जाने वाले विभाग ने खोली है।
आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि पूरे मीडिया में और सोशल मीडिया में राज्य के प्रचार तंत्र की ओर से जारी यह फरमान चर्चा का विषय बना है जिसमें फोटोग्राफरों को मुख्यमंत्री के पोश्चर, बैठने की मुद्रा, और चेहरे के भावों पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया गया है। राजेंद्र राणा ने कहा कि इस अनोखे पत्र ने राज्य में नई चर्चा छेड़ दी है, जिसमें यह कहा गया है कि तस्वीरों में मुख्यमंत्री का सही प्रभाव न दिखने पर जनता में उनकी छवि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
इस अनोखे आदेश को पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने हास्यास्पद करार दिया। उन्होंने कहा कि यह पत्र देश के इतिहास में अपनी तरह का अनूठा फरमान है, क्योंकि मुख्यमंत्री जिस तरीके से बैठते हैं, स्वाभाविक रूप से वही उनके चित्र में भी दिखेगा। राजेंद्र राणा ने कहा कि कांग्रेस की चुनावी गारंटी और वायदे पूरे न करने की वजह से जनता में लगातार गिर रही मुख्यमंत्री की छवि को इस तरह के फरमान से स्थापित करना एक हास्यास्पद प्रयास है।
राणा ने अपने तीखे तंज को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि वह जनता में अपनी छवि सुधारने के लिए अखबारों में काल्पनिक खबरें भी “प्लांट” करवा देते हैं। उन्होंने हाल की एक खबर का उदाहरण दिया, जिसमें यह दावा किया गया कि एक अधिकारी मुख्यमंत्री को सोने का गिफ्ट देने आया, लेकिन मुख्यमंत्री ने वह गिफ्ट ठुकरा दिया, ताकि एक “ईमानदार नेता” की छवि बनाई जा सके। राणा ने सवाल उठाया कि अगर यह घटना सच थी तो उस अधिकारी का नाम क्यों नहीं सार्वजनिक किया गया और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में क्यों नहीं लाई गई क्योंकि ऐसा न करने से जनता में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि कहीं यह महज एक बनाई गई कहानी तो नहीं थी, जो मुख्यमंत्री की छवि निर्माण के लिए गढ़ी गई हो।
राजेंद्र राणा ने राज्य के प्रशासनिक तंत्र के कामकाज पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि हाल ही में मुख्यमंत्री के लिए मंगवाया गया ” स्पेशल समोसा” सुरक्षा अधिकारियों द्वारा खा लिया गया, जिसके बाद सीआईडी ने उच्च स्तरीय जांच कराई। इस रिपोर्ट ने सरकार की कार्यप्रणाली पर और भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
राणा ने मुख्यमंत्री से पूछा है, “आपकी सरकार में ये सब हो क्या रहा है? क्या अब तस्वीरें और समोसे ही सरकार की प्राथमिकता बन गए हैं, जबकि राज्य की जनता असल मुद्दों पर सुनवाई चाहती है?”
राजेंद्र राणा ने कहा कि सरकार की सूचना तंत्र द्वारा जारी किए गए नए फरमान और समोसे पर बढ़ाई गई जांच ने राज्य की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है, और इससे मुख्यमंत्री की सोच और विजन भी झलकता है।