हमीरपुर, 2 जून
स्वर्गीय विमल नेगी की रहस्यमयी मौत अब प्रदेश की न्यायिक संवेदना और प्रशासनिक जवाबदेही की कसौटी बन गई है। सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि इस मामले में प्रदेश सरकार की टालमटोल और हड़बड़ाहट अब पूरी तरह उजागर हो चुकी है।
आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि नेगी परिवार ने शुरू से ही सीबीआई जांच की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज कर मामले की जांच शिमला पुलिस को सौंप दी। जब हाईकोर्ट ने इसे सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया, तो यह साफ हो गया कि सरकार कुछ छिपा रही थी।
राजेंद्र राणा ने शिमला एसपी द्वारा कोर्ट में व्यक्तिगत याचिका दायर करने को असंवैधानिक बताया और सवाल उठाया कि एक पुलिस अधिकारी को यह हिम्मत आखिर किसने दी? उन्होंने पूछा कि क्या यह केवल एक अधिकारी की पहल थी या किसी राजनीतिक दबाव में आकर उन्होंने यह कदम उठाया था। उन्होंने कहा कि एक एसपी इस तरह व्यक्तिगत रूप से अपील नहीं कर सकता।
उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर एसपी के बचाव में सामने आने और विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष को सवाल उठाने का पूरा अधिकार है। अगर सरकार की नीयत साफ होती, तो वह सीबीआई जांच से डरती नहीं। राजेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश की जनता इस रहस्य को जानना चाहती है कि आखिर मुख्यमंत्री को एक एसपी के बचाव में सामने आने की जरूरत किस लिए पड़ी। मुख्यमंत्री सीबीआई जांच से परेशान क्यों दिख रहे हैं।
राजेंद्र राणा ने साफ किया कि यह लड़ाई केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की न्यायिक चेतना की लड़ाई है। भाजपा तब तक चुप नहीं बैठेगी जब तक सच सामने न आ जाए और दोषियों को सजा न मिल जाए।