नागेंद्र गुप्ता
हीरानगर के पास एचआरटीसी की नगरोटा -शिमला बस हादसे के दौरान आपदा प्रबंधन की खामिया देखने को मिली है | विकास समिति के पूर्वाध्यक्ष व समाजसेवी नागेंद्र गुप्ता ने कहा की तीन घंटे तक बस के नीचे दबे दो व्यक्तियों को बाहर निकालने में तीन घंटे का समय लगना एक चिंता का विषय है | उन्होने कहा की आपदा प्रबंधन की खामियों को रेसक्यू कर रहे लोगों ने अपने-अपने तरीके से मीडिया /सोशल मीडिया के माध्यम से ब्यान कर सरकार व प्रशासन के प्रति भारी रोष व्यक्त किया है |
गुप्ता ने कहा की प्र्त्यक्षदर्शियों का कहना है की पहले तो एक कार उठाने वाली छोटी क्रेन मौके पर भेज दी जिसकी बारीक चेन इस दुर्घटनाग्रस्त बस का भारी भरकम वजन सहन न कर सकी और टूट गई जिस कारण बस के नीचे दबे व्यक्तियों को बाहर निकालना एक चुनौती से कम नहीं था | उन्होने कहा की आपदा प्रबंधन से निपटने वाली टीमों के पास न तो उचित भारी भरकम वजन सहन करने वाले रस्से ही मौजूद थे और न ही शक्तिशाली क्रेन घंटो मौके पर पहुंची जिससे बस के नीचे फंसा जिंदा व्यक्ति जान बचाने को चिल्लाता रहा | उन्होने कहा की बस के नीचे दबे व्यक्तियों को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध न के कारण या देरी होने के कारण एक व्यक्ति को जान से हाथ धोना पड़ा | गुप्ता ने कहा की मात्र एक किलोमीटर पर आर्मी कैंट क्षेत्र जतोग पड़ता है लेकिन शायद सरकार /प्रशासन और आर्मी के बीच सही तालमेल न होने के कारण आर्मी की क्रेने या आर्मी रेसक्यू टीम मात्र एक किलोमीटर की दूरी से भी नहीं पहुँच पाई |
विकास समिति के पूर्वाध्यक्ष व समाजसेवी नागेंद्र गुप्ता ने जनहित में मांग की है की राजधानी शिमला व उसके आसपास क्षेत्रों में किसी भी अचानक आपदा से निपटने के लिए भविष्य में कम से कम अन्य सभी जरूरत के उपकरणो से लैस दो भारी भरकम क्रेनों को शहर के दोनों उतरी व पश्चिम छोर पर खड़ा रखा जाये ताकि किसी भी दुर्घटना के समय किसी भी आपदा से तुरंत निपटा जा सके |