ग्राम पंचायत दाड़लाघाट द्वारा पंचायत बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री से राजकीय महाविद्यालय दाड़लाघाट में प्रवक्ताओं व अन्य स्टाफ के खाली चल रहे पदों को भरने की मांग की है। गौर रहे कि दाड़लाघाट राजकीय महाविद्यालय दाड़लाघाट में बिना टीचिंग स्टाफ व बिना समुचित इंफ्रास्ट्रक्चर के युवाओं की शिक्षा का स्तर हांफने लगा है। महाविद्यालय में न तो पर्याप्त टीचिंग स्टाफ है और न ही उनकी पढ़ाई हेतु कोई भी अनुकूल इंफ्रास्ट्रक्चर। जिस कारण बच्चे महाविद्यालय से या तो दूसरे महाविद्यालयों को पलायन कर रहे हैं या इस विद्यालय में प्रवेश ही नहीं ले रहे हैं। टीचिंग स्टाफ की बात करें तो 1 वर्ष से अंग्रेजी के प्रोफेसर का पद रिक्त पड़ा है, लगभग 4 माह से हिंदी प्रोफेसर का पद रिक्त पड़ा है और 8 माह से इकोनॉमिक्स के प्रोफ़ेसर का पद रिक्त है। इसी प्रकार 1 वर्ष से कॉमर्स के प्रोफेसर का पद रिक्त पड़ा है। यही नहीं नॉन टीचिंग स्टाफ में एक पद लिपिक व जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और एक लाइब्रेरियन का पद भी रिक्त पड़ा है। इसी प्रकार कॉलेज की अपनी बिल्डिंग न होने के कारण पढ़ाई सड़क के किनारे किराए पर लिए एक मकान में करवाई जा रही है। जहां निरंतर यातायात के शोर-शराबे में पढ़ाई होने का जायजा सहज ही लगाया जा सकता है। यद्यपि कॉलेज खुलने के समय तत्कालीन सरकार ने महाविद्यालय के भवन हेतु 5 करोड रुपए के बजट का प्रावधान किया था और एक करोड़ 71 लाख रुपए की राशि भी लोक निर्माण विभाग को इस भवन हेतु जारी कर दी थी लेकिन लोक निर्माण विभाग के नॉर्म्स के अनुसार कम से कम 30% की राशि खाते में जमा होने पर ही कार्य शुरू किया जा सकता है जिसके प्रति 4 वर्ष बीत जाने पर भी सरकार का रवैया बिल्कुल उदासीन लग रहा है। इस कारण क्षेत्र की लगभग 20 पंचायतों के लोगों में इस बाबत अत्यधिक गुस्सा पनप रहा है। ग्राम पंचायत दाड़लाघाट के प्रधान व सभी प्रतिनिधियों ने बताया कि इस बाबत लोगों में सरकार के उदासीन रवैया के प्रति अत्यधिक आक्रोश है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द इस विद्यालय में टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ प्रतिनियुक्त करने की मांग की है, ताकि हमारे बच्चों को पढ़ाई करने इधर उधर न भटकना पड़े।









