197 सालों के इतिहास में पहली बार शरद नवरात्रो में नहीं होंगी माँ दुर्गा की पूजा
कोरोना महामारी के कारण जहाँ प्रदेश में सारे शक्तिपीठ नवरात्रों के लिए सज गए है वहीं इस साल नवरात्रों में माँ दुर्गा की पूजा कालीबाड़ी में नही की जाएगी।
बता दे इस साल माँ दुर्गा मूर्ति रूप में नहीं घट अर्थात कलश रूप में आएंगी। कलश में ही मां का आह्वान कर विधिवत पूजा पद्धति का निर्वाह किया जाएगा। हर वर्ष पूजा के लिए विशेष तौर पर बनाए जाने वाले पंडाल में मां नहीं विराजेंगी बल्कि इस वर्ष मां मुख्य गर्भगृह में ही घट के रूप में पूजी जाएंगी। दुर्गा पूजा की रीतियों के अनुसार संधि, वरण और विसर्जन पूजा की सारी विधियां निभाई जाएंगी पर इस दौरान भक्तगण मौजूद नहीं रहेंगे।
मंदिर के पूर्व पंडित सुधांशु शेखर भट्टाचार्य के अनुसार मां के मंदिर को बने 197 साल हो चुके हैं और तब से लेकर अब तक मां की पूजा की परंपरा चली आ रही है। इस दौरान मात्र एक बार ही ऐसा समय आया जब मां की मूर्ति निर्माण के लिए मूर्तिकार किसी कारणवश नहीं आ पाए। उनके अनुसार तब उस समय मंदिर में कार्यरत पंडितों ने ही किसी तरह मिट्टी से मां की मूर्ति बना कर पूजा संपन्न की थी। उनके अनुसार मां की पूजा की परंपरा कभी नहीं टूटी है।
कोरोना महामारी से पहले पांच दिनों में मां की विधिवत पूजा की जाती है। मां इन पांच दिनों के लिए मां लक्ष्मी ,मां सरस्वती, गणेश और कार्तिक के साथ विराजती हैं और उनके लिए खूबसूरत पंडाल बनाया जाता है। दुर्गा पूजा के लिए अगस्त महीने से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। कोलकाता से आए मूर्तिकार मां की मूर्ति गढ़ते हैं और छठें नवरात्र से षोडशोउपचार के बाद मां की आराधना शुरू होती थी पर इस वर्ष करोना महामारी के कारण श्रदालुओ के लिए नहीं होगा प्रवेश।
विधान मंदिर कमेटी के उपाध्यक्ष मृणाल कुमार चौधरी ने कहा कि इस वर्ष कोविड-19 के चलते इस साल मंदिर में दुर्गा पूजा के लिए मूर्ति स्थापना नहीं की गई है। मंदिर के गर्भगृह में कलश स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा की पूजा की जाएगी। उन्होंने कहा कि नवरात्र को लेकर सरकार व जिला प्रशासन के निर्देशानुसार सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। मंदिर में सेनेटाइजेशन, सीसीटीवी कैमरा और मंदिर में प्रवेश करने वाले श्रद्धालु को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। श्रद्धालु मंदिर में सिर्फ 10 सेकेंड के लिए ही दर्शन कर पाएंगे। मंदिर में श्रद्धालुओं को किसी तरह का प्रसाद चुनरी, चूड़ी, नारियल चढ़ाने की अनुमति नहीं है और ना ही भक्तों को प्रसाद दिया जाएगा।