सहकारी बैंक की भर्तियों को बैंक व सरकार कमाई का साधन न बनाए :संदीप सांख्यान
जिला कांग्रेस महासचिव संदीप सांख्यान ने हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के द्वारा की जाने वाली ऑनलाईन भर्तियों में ली जाने वाली भारी भरकम फीस को लेकर सवाल खड़े किए है। उन्होंने कहा कि एक तो कोविड 19 का समय है ऊपर से लॉक डाउन जैसी समस्या, बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर है लोंगो की कमाई तकरीब शून्य हो चुकी है।
प्रदेश सरकार के सहकारी बैंक ने ऐसे में ऑनलाईन भर्ती प्रक्रिया शुरू की है यह एक बेरोजगारों के लिए एक अच्छा अवसर है लेकिन इसमें ऑनलाइन परीक्षा देने हेतू भारी भरकम फीस रखी है वह प्रदेश के युवाओं और बेरोजगारों के साथ शरेआम ज्यादती और खिलवाड़ है।
जिला कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इन भर्ती प्रक्रिया में 149 पद भरे जाने है जिसमे जूनियर क्लर्क, स्टेनो टाइपिस्ट रखे जाएंगे और इसका फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 2 जुलाई रखी गई है लेकिन इसमें हैरानी की बात कि इसकी प्रति प्रति फॉर्म1000 रुपये रखी गई है। जिसमे सामान्य वर्ग, ओबीसी वर्ग, डब्लू एफ एफ वर्ग और फिज़िकली हैंड़ीकैप्ट वर्ग से 1000 रुपये प्रति फार्म और महिला वर्ग, अनुसूचित जनजाति व जनजाति वर्ग, बी पी एल और अंतोदय वर्ग के लिए 800 रुपये प्रति फार्म एप्लाई करने के लिए फीस रखी गई है, जो कि बहुत अधिक है। प्रदेश का युवा पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रहा है ऊपर से कोविड 19 से उसके परिवार की कमाई को कोरोना खा गया अब कहाँ से प्रदेश का बेरोजगार युवा 800 रुपये से 1000 रुपये तक की फीस भर पाएगा। यदि हम आंकड़ो पर भी गौर करें तो इन पदों की आयु सीमा 18 वर्ष से 45 वर्ष है और जिसमे शैक्षणिक योग्यता 10+2 है यदि प्रदेश के बेरोजगारी की संख्या 7 लाख पर कर चुकी है उनमें से भी यदि 80 से 1 लाख बेरोजगार 149 पदों के लिए आवेदन करते है तो आप खुद ही अनुमान लगा लीजिए कि कितना पैसा इक्क्ठा होगा और युवा पहले से बेरोजगार तो इतनी भारी भरकम फीस कैसे दे पाएगा। इस मसले पर हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के विज्ञापन को देख कर तो लगता है कि भर्ती प्रक्रिया से कितना पैसा बैंक कमा लेगा।
चूंकि यह बैंक प्रदेश सरकार का अपना बैंक है तो इसके बारे में प्रदेश सरकार के साथ साथ बैंक के प्रबंधन को भी सोचना चाहिए कि ऐसी विपरीत परिस्थितियों में बेरोजगारों से कमाई का साधन नहीं जुटाया जाना चाहिए और भर्ती प्रक्रिया की फीस न्यूनतम की जानी चाहिए।