प्रेस क्लब कुल्लू में न चुनाव में नियमों का हुआ पालन, न जांच अधिकारी को दिया आय-व्यय का हिसाब, तत्काल प्रशासक नियुक्त करने के अनुशंसा-देखें जांच रिपोर्ट
प्रेस क्लब ऑफ कुल्लू की कार्यकारिणी पूरी तरह से अवैध है। इसके चुनाव में संविधान के नियमों उप नियमों का किसी भी तरह से पालन नहीं किया गया है। ऐसे में चुनाव और कार्यकारिणी पूरी तरह से नियमों के विपरीत असंवैधानिक है। जबकि प्रेस क्लब आफ कुल्लू द्वारा आय-व्यय संबंधी किसी भी प्रकार के दस्तावेज व सही जानकारी जांच अधिकारी को नहीं दी गई है। ऐसे में प्रेस क्लब कुल्लू में तत्काल प्रशासक की नियुक्ति की जानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि लगभग 10 माह पूर्व प्रेस क्लब के संस्थापक सदस्य व कुछ अन्य पत्रकारों ने प्रेस क्लब के चुनाव तथा आय-व्यय के साथ कुछ अन्य मसलों को लेकर एसडीएम कुल्लू को शिकायत पत्र देकर जांच करवाने का आग्रह किया गया था। जिस पर एसडीएम कुल्लू विकास शुक्ला ने उनकी शिकायत जांच के लिए सहायक पंजीयक सहकारी सभाएं जिला कुल्लू को भेजी थी। जिसकी रिपोर्ट कुछ दिन पहले ही उन्होंने एसडीएम कुल्लू को भेजी थी। उसके बाद उसकी प्रतियां शुक्रवार को शिकायतकर्ता व प्रेस क्लब कुल्लू के पदाधिकारियों को भी दी गई।
पंजीयक सहकारी सभाएं कुल्लू द्वारा करवाई गई जांच में साफ तौर पर प्रेस क्लब कुल्लू के तमाम गड़बड़ झालों व मनमानी का कच्चा चिट्ठा पेश किया है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक साधारण अधिवेशन बुलाने के लिए 21 दिन पूर्व सूचना देना अनिवार्य था। लेकिन प्रेस क्लब कुल्लू द्वारा साधारण अधिवेशन बुलाने बारे किसी को 21 दिन का नोटिस या सूचना नहीं दी गई।
जिसे स्पष्ट है कि चुनाव प्रक्रिया में नियम व उप नियमों के अनुरूप नोटिस न देकर मनमाने तरीके से चुनाव करवाए गए हैं। जांच रिपोर्ट में साफ कहा है कि प्रेस क्लब के संविधान के मुताबिक चुनाव वार्षिक होने थे। लेकिन उनके द्वारा चुनाव 3 वर्ष बाद करवाए गए।
हालांकि उसके लिए 28 जून 2017 को प्रस्ताव पारित किया गया कि आगामी चुनाव तीन वर्ष के लिए होंगे। परंतु नियमों व उपविधियों में संशोधन सक्षम अधिकारी से नहीं करवाया गया। इसलिए प्रेस क्लब के चुनाव एक साल बाद करवाए जाने अनिवार्य थे। लेकिन प्रेस क्लब द्वारा ऐसा नहीं किया गया।
चुनाव 3 वर्ष के लिए करवाए गए, वह पूरी तरह से संवैधानिक व नियमों के अनुसार नहीं करवाए गए तथा वर्तमान कार्यकारिणी भी अवैध है। इसलिए तत्काल प्रशासक की नियुक्ति की जानी आवश्यक है। जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि ऑडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया गया है। लेकिन प्रेस क्लब के पदाधिकारियों द्वारा रोकड़, बही व रसीदें पेश नहीं की गई। जिससे सही-सही पता नहीं चल सका कि किस राशि का ऑडिट किया गया है। जबकि राहत कोष से राशि सदस्यों को बीमारी की स्थिति में इलाज या ऑपरेशन आदि के लिए दी गई। लेकिन इस बारे भी कोई नियम नहीं अपने गए हैं। ऐसे में राशि किस प्रकार से आवंटित की गई है यह भी संदेह में है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि प्रेस क्लब सदस्य के लिए रजिस्टर लगाया गया है। जिसमें अखबार चैनल या मीडिया का नाम नहीं दिया है। जिस कारण यह पुष्टि नहीं हो सकी कि कौन सदस्य किसा मीडिया से जुड़ा है। प्रेस क्लब द्वारा जो सदस्यों की सूची जांच अधिकारी को सौंप गई है, उसमें भी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि सदस्य कि मीडिया या अखबार से हैं। जबकि सदस्य रजिस्टर में प्रत्येक सदस्य का पूरा पता व सदस्य किस मीडिया या अखबार से है, उसका पुरा विवरण लिखा जाना अति आवश्यक था। लेकिन प्रेस क्लब द्वारा ऐसा नहीं किया गया है। इस प्रकार सदस्यों की सदस्यता का सही से सत्यापन नहीं हो सका है।
जांच रिपोर्ट में सहायक पंजीयक सहकारी सभा कुल्लू द्वारा साफ तौर पर बताया है कि प्रेस क्लब द्वारा करवाए गए चुनाव नियम वीडियो के अनुसार नहीं किए गए हैं। जबकि एक साल की समाप्ति के बाद हर हालत में चुनाव होने चाहिए थे। क्योंकि प्रस्ताव में प्रेस क्लब द्वारा 3 साल में चुनाव का संशोधन पारित किया गया है। लेकिन उसके बगैर अनुमोदन के होने के कारण वैध नहीं है। जबकि प्रेस क्लब को चाहिए था कि प्रस्ताव पारित करने के पश्चात संशोधन का अनुमोदन सक्षम अधिकारी से करवाते। इस प्रकार प्रेस क्लब द्वारा उपरोक्त प्रस्ताव द्वारा गठित की गई कार्यकारिणी अवैध है तथा इसको भांग किया जाए। इसके साथ ही प्रेस क्लब में प्रशासक की नियुक्ति की जानी अति आवश्यक है।
गौरतलब है कि प्रेस क्लब के सदस्यों का सत्यापन भी नहीं है। जांच अधिकारी द्वारा प्रेषित की गई रिपोर्ट के मुताबिक प्रेस क्लब कार्यकार…