शिमला 05 मार्च
हिमाचल प्रदेश के किसानों के हितों के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए प्रस्तुत बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है । इसे किसान विरोधी बजट की संज्ञा दी जा सकती है । हिमाचल प्रदेश किसान सभा के राज्याध्यक्ष डाॅ0 कुलदीप तंवर ने शनिवार को मिडिया को जारी बयान में कहा कि किसानों को बीज, उपकरण और रासायनिक खादों पर उपदान धीरे धीरे खत्म किया जा रहा है जोकि उचित नहीं है ।
उन्होने कहा कि सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात की जा रही है जबकि प्राकृतिक खेती को पूर्ण रूप में विकसित होने पर कई वर्ष लग जाएगें परंतु रसायनिक खाद व बीज की किसानों को रोजमर्रा की आवश्यकता हैं । उन्होने कहा कि प्रदेश में करीब दस लाख भूमि जोत ( लैड होल्ंिडगज ) है जिसमें करीब 80 प्रतिशत किसान लघु व सीमांत श्रेणी में आते हैं । सबसे अहम बात यह है कि कृषि के माध्यम से युवाओं को सर्वाधिक रोजगार मिल रहा है । इस सैक्टर को सरकार द्वारा उपेक्षित रखा जाना तर्कसंगत नहीं है । इनका कहना है कि ं प्रदेश में उत्पादित टमाटर, लसुंहन व अदरक पर उद्योग स्थापित करने का बजट में कोई प्रावधान नहीं है । हिमाचल प्रदेश का किसान सर्वाधिक टमाटर सहित बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन करता है जिससे उसके रोजमर्रा की आवश्यकता पूरी होती है ।
डाॅ0 तंवर ने बताया कि केरल राज्य में 16 प्रकार की सब्जियों व फलों पर किसानों को समर्थन मूल्य मिलता है जिससे किसान को अपने उत्पाद का उचित दाम मिल जाता है । प्रदेश में बीते वर्ष टमाटर की क्रेट मंडियों में न्यूनतम 80 व एक सौ रूपये तक बिकी । परंतु बजट में किसानों की सब्जियों के समर्थन मूल्य बारे कोई जिक्र नहीं किया गया है ं ग्रामीणों क्षेत्रो में सहकारी सभाओं के माध्यम से बिकने वाले दूध की कीमत में केवल दो रूपये की वृद्धि की गई है जोकि ऊंट के मुंह में जीरा वाली बात है ।
उन्होने बताया कि प्रदेश में सेब का करीब पांच हजार करोड़ का कारोबार होता है जोकि प्रदेश की आर्थिकी सुदृढ़ करने का एक विशेष घटक है परंतु सरकार द्वारा बागवानों का सेब बहुत कम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है जिससे बागवानों की दवाईयों व बागीचों के अन्य खर्चें भी नहीं निकल पाते हैं । उन्होने कहा कि प्रदेश सरकार को काश्मीर राज्य की तर्ज पर सेब की खरीद 60, 44 और 24 रूपये प्रति किलोग्राम की जानी चाहिए । सब्जी उत्पादक क्षेत्रों में लिंक रोड़ निर्मित करने का भी बजट में कोई उल्लेख नहीं किया गया है । जंगल जानवरों द्वारा तबाह की जा रही किसानों की फसलों के बचाने के उपाय बारे भी बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है । प्रदेश में मक्की पर आधारित उद्योग लगाने बारे भी बजट में कोई जिक्र नहीं किया गया है । इसी प्रकार जिन लोगों की जमीने फोर लेन व हवाई अडडों के निर्माण के अधिगृहित की गई है ऐसे किसानों को चार गुना मुआवजा।