कृषि विज्ञान केंद्र सोलन द्वारा प्राकृतिक कृषि पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण शिविर आत्मा परियोजना शिमला द्वारा प्रायोजित किया गया और इसमें रामपुर और बसंतपुर खंडों के 20 किसानों ने भाग लिया। केंद्र के प्रभारी डॉ जितेंद्र चौहान ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र कंडाघाट प्राकृतिक कृषि के बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है और समय-समय पर प्रशिक्षण शिविरों और प्रदर्शनों का आयोजन केंद्र द्वारा किया जा रहा है। डॉ चौहान ने किसानों को प्राकृतिक खेती के महत्व एवं फलदार पौधों को प्राकृतिक कृषि से तैयार करने के विषय में जानकारी दी। कार्यक्रम की संयोजक डॉ मीरा ठाकुर ने जीवामृत तथा घन जीवामृत तैयार करने की विधि बताई।
वरिष्ठ पौध रोग विशेषज्ञ डॉ आरती शुक्ला ने प्राकृतिक कृषि में उपयोग में किए जाने वाली रोगनाशी और कीटनाशी के विषय में विस्तृत रूप से जानकारी दी तथा प्रतिभागियों से तैयार भी करवाया। कीट वैज्ञानिक डॉ अनुराग शर्मा ने किसानों को अच्छाधन, वापसा का महत्व तथा अंतह फसलों के विषय में जानकारी दी। इसके अतिरिक्त ड्रोन के माध्यम से किसानों को जीवामृत का छिड़काव करना भी दिखाया।
प्रतिभागियों को डॉ मीरा ने मिट्टी के नमूने लेने की विधि का भी प्रदर्शन दिया। केंद्र के प्रधान फार्म मैनेजर डॉ॰ डी॰डी॰ शर्मा ने फलदार पौधों में कांट छांट की विधि का प्रदर्शन दिया। इसके अतिरिक्त डॉ उपेंद्र भारद्वाज, वरिष्ठ पशु चिकित्सक ने दुधारू पशुओं के सही प्रबंधन व संतुलित आहार के विषय में जानकारी दी।
कार्यक्रम के अंतिम दिन डॉ सीमा ठाकुर एवं डॉ राजेश ठाकुर ने प्राकृतिक कृषि विधि से सब्जी एवं फल उत्पादन करने के विषय में जानकारी दी। समापन समारोह में सभी प्रतिभागियों ने अपने सुझाव दिये। आत्मा परियोजना शिमला के बसंतपुर एवं रामपुर खण्डों के किसानों को लेकर आए खण्ड तकनीक प्रबन्धक भीमा नेगी और अनु नेगी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।