पौष्टिक से हैं भरपूर और इनकी खेती भी है बहुत ही फायदेमंद
हमीरपुर 24 मार्च। मोटे अनाज की पौष्टिकता और अन्य विशेषताओं के बारे में आम लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से शुक्रवार को महिला एवं बाल विकास विभाग, कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र बड़ा के संयुक्त तत्वावधान में गांव दाड़ला में एक जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। राष्ट्रीय पोषण पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में ‘मोटे अनाजों पर आधारित कृषि से सबके लिए सामाजिक आर्थिक अवसरों का सृजन’ विषय पर व्यापक चर्चा की गई।
इस अवसर पर बाल विकास परियोजना अधिकारी सुजानपुर कुलदीप सिंह चौहान ने कहा कि मोटे अनाज जलवायु परिवर्तन एवं भुखमरी के विरुद्ध सर्वाधिक उपयोगी सुरक्षा कवच हैं। ये अनाज न केवल भोजन पोषण, चारे एवं किसानों की आजीविका के उत्तम स्त्रोत है अपितु अत्यधिक तापमान, बाढ़ एवं सूखे का समान रूप से सामना करने में सक्षम होने के कारण किसान हितैषी भी हैं।
इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र की कृषि वैज्ञानिक डॉ. छवि ने बताया कि मोटे अनाज अपने उत्पादन अनुपात, लागत अनुपात, पौष्टिकता, बहु-उपयोगिता और पर्यावरण मित्र स्वभाव के कारण सुपर फूड के नाम से पहचाने जाने लगे हैं। ये परंपरागत भारतीय अनाज किसान एवं गरीब हितैषी हैं तथा इनमें स्वास्थ्य का खजाना छुपा है। मोटे अनाज अपने स्वाद, रोग प्रतिरोधक क्षमता तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे-कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक, पोटेशियम, विटामिन बी-6, विटामिन बी-3 तथा फाइबर के श्रेष्ठ भंडार हैं। मोटापे और मधुमेह को नियंत्रित करने तथा कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी लाने के अपने स्वाभाविक गुणों के दृष्टिगत मोटे अनाज दो सबसे बड़े गैर-संचारी रोगों-मधुमेह एवं हृदयाघात से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
डॉ. छवि ने बताया कि बायोडीजल तथा एथेनॉल जैसे गैर खाद्य-उपयोगों से भी इनकी खपत में निरंतर वृद्धि हो रही है जिससे किसानों को इनके अच्छे दाम मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन अनाजों की उत्पादन लागत बहुत ही कम होती है क्योंकि इन्हें न तो रासायनिक खाद अथवा कीटनाशकों की आवश्यकता रहती है और न ही अधिक पानी की। मात्र एक गाय के गोबर से वर्ष भर में 30 एकड़ भूमि पर मोटे अनाज की प्राकृतिक खेती हो जाती है।
कृषि विभाग के एसएमएस राजेश कुमार ने बताया कि देश का 30 प्रतिशत भाग फसलों के गलत चयन के कारण मरुस्थल में बदल चुका है। सबसे कृषि संपन्न एवं पांच नदियों का प्रदेश पंजाब सूख रहा है और रसायनों एवं कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से कैंसर प्रदेश के रूप में बदल चुका है। इसलिए कृषि को यदि लाभकारी व्यवसाय और किसान हितैषी बनाना है तो हमें परंपरागत मोटे अनाजों की ओर लौटना होगा।