राजधानी के कनलोग-डाउनडेल के जंगल में एक नहीं, बल्कि पांच तेंदुए घूम रहे हैं। इनमें तीन तेंदुए छोटे हैं और इनकी उम्र करीब पांच से सात महीने है। वन विभाग की ओर से इस क्षेत्र में लगाए गए ट्रैप कैमरों में पांच तेंदुओं की मूवमेंट देखी गई है। इनमें एक मादा तेंदुआ भी है। इसके साथ तीन बच्चे घूम रहे हैं।
पांच अगस्त को कनलोग से जब छह साल की बच्ची को तेंदुए ने उठाया था, उस वक्त यहां लगाए गए ट्रैप कैमरों में भी यह मादा तेंदुआ तीन बच्चों के साथ दिखी थी। उस समय इसके शावक छोटे थे। लेकिन अब ये बड़े हो गए हैं। हालांकि, अभी ये अकेले शिकार नहीं कर पाते और मादा तेंदुआ के साथ ही घूम रहे हैं। वन विभाग के अनुसार एक और तेंदुए की मूवमेंट भी कैमरों से पता चली है। यह तेंदुआ काफी बड़ा है।
कनलोग में लगाए गए पिंजरे के पास भी यह तेंदुआ पहुंचा था और इसके पंजों के निशान से अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह काफी बड़ा है। वन विभाग का कहना है कि अब तक पांच तेंदुओं की मूवमेंट पता चली है। इनकी संख्या ज्यादा भी हो सकती है। विभाग का कहना है कि अभी सभी तेंदुओं को पकड़ने की कोशिश की जा रही है। हैरानी की बात यह भी है कि इन पांचों में से एक भी पिंजरे में नहीं आया है।
आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिए शिमला पहुंची केंद्रीय वन्यजीव विभाग की टीम ने सोमवार को कनलोग के जंगल का निरीक्षण किया। इस दौरान जंगल में लगाए गए पिंजरों की लोकेशन बदली गई है। वन विभाग ने कनलोग और डाउनडेल एरिया में करीब आधा दर्जन पिंजरे लगाए हैं। अभी पिंजरों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही, लेकिन कुछ नए ट्रैप कैमरे लगाए जा रहे हैं। एपीसीसीएफ अनिल ठाकुर ने बताया कि केंद्रीय टीम ने जंगल का दौरा किया है। पिंजरों की लोकेशन बदली जा रही है।
वन विभाग का कहना है कि तेंदुआ एक बार खाने के बाद कई दिन तक रह सकता है। इसीलिए यह पिंजरे के पास आकर भी लौट गया। लेकिन अगले दो तीन दिन बड़े अहम है।