प्रदेश में खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता जांचने के लिए फूड सेफ्टी विभाग की टीम समय-समय पर दुकानों में जाकर सैंपल भरती है, लेकिन इनकी जांच रिपोर्ट आने के लिए करीब एक माह तक इंतजार करना पड़ता है। जब तक रिपोर्ट आती है तब तक मिठाई व अन्य खाद्य वस्तुएं हजम हो चुकी होती हैं। ऐसे में विभाग के पास एकमात्र साधन मोबाइल टेस्टिंग वैन है, जो मौके पर खाद्य वस्तु की गुणवत्ता की दो मिनट के भीतर बता देती है कि ये खाने योग्य है या नहीं। विडंबना है कि प्रदेश में केवल दो ही मोबाइल टेस्टिंग वैन हैं, जिन पर 12 जिलों की खाद्य वस्तुओं की जांच का जिम्मा है।
दो जिलों में एक मोबाइल टेस्टिंग वैन उपलब्ध हो जाए तो विभागीय अधिकारियों को फूड सैंपल लेने के बाद इसकी रिपोर्ट आने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। खाद्य वस्तुओं में पनीर, खोया, तेल, जूस, कुङ्क्षकग आयल आदि के सैंपल लिए जाते हैं। इन्हें जांच के लिए सोलन भेजा जाता है। यहां से रिपोर्ट 30 दिन के बाद आती है। मोबाइल टेस्टिंग वैन में ऐसे उपकरण लगे हैं जो मौके पर सैंपल की रिपोर्ट दे देती है। अधिकारियों की मानें तो मोबाइल टेस्टिंग वैन की कीमत लाखों रुपये है। यदि दो जिलों के लिए एक मोबाइल टेस्टिंग वैन उपलब्ध करवाई जाती है तो सरकार पर अधिक आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा।
सूत्रों की मानें तो यह वैन सोलन व धर्मशाला में ही उपलब्ध है। अन्य जिलों में जाने के लिए इसका महीने बाद नंबर आता है और वह भी केवल तीन दिन के लिए उपलब्ध होती है। यदि दो जिलों में एक वैन उपलब्ध करवाई जाए तो प्रति जिला में विभागीय अधिकारी 15 दिन तक सैंपल भरकर इनकी रिपोर्ट दे सकते हैं। इससे लोगों को खाने की बेहतर वस्तुएं उपलब्ध होंगी।










