सर्दियों का मौसम शुरू होते ही विदेशी मेहमान परिंदे फिर से यहां आने शुरू हो गए हैं। कृत्रिम झीलों में विदेशी सारस प्रजाति के पक्षियों की आमद शुरू हो गई है। लारजी झील में भी विदेशी परिंदों ने डेरा डाल दिया है। लारजी जल विद्युत परियोजना की इस झील में रंग-बिरंगे विदेशी परिंदे पहुंचने से लोग खुश हैं। खास बात यह है कि लारजी जलाशय में इस बीच कई दुर्लभ प्रजाति के परिंदे भी देखे जा रहे हैं। शीत ऋतु आगमन के साथ ही हजारों किलोमीटर दूर से आकर कुल्लू जिले में बिजली तैयार करने के लिए बनाई गई कृ त्रिम झील में विदेशी परिंदों की आमद को पर्यावरण प्रेमी भी अच्छे संकेत मान रहे हैं। साइबेरिया, रूस व कजाकिस्तान आदि देशों से ये परिंदे आते हैं। आम लोगों के साथ-साथ सैलानियों के लिए भी ये पक्षी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
वन्य प्राणी विभाग के विशेषज्ञ कहते हैं कि विदेशी पक्षियों का सफर इतना आसान नहीं होता है। रास्ते में बहुत-सी मुश्किलें आती हैं। आंधी-तूफान और तेज हवाओं से कई पक्षी अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं लेकिन फिर भी हर साल ठंड से भागते हुए ये पक्षी भारत की ओर रुख करते हैं। साइबेरिया व रूस आदि देश बहुत ही ठंडी जगह हैं, जहां नवम्बर से मार्च तक तापमान 50 से 60 डिग्री सैल्सियस नीचे तक चला जाता है। इस कारण पक्षियों का वहां जिंदा रहना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए हजारों पक्षी भारत की ओर रुख करते हैं। दूर देश से आए इन मेहमान पक्षियों की खातिरदारी में लोग कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। सुबह सूर्य की पहली किरण के साथ पेड़-पौधों के बीच से निकल कर ये पक्षी स्वच्छ पानी में अठखेलियां करने लगते हैं। विदेशी परिंदों के दस्तक देते ही घाटी के पर्यावरण प्रेमी खुश नजर आ रहे हैं।
वन्य प्राणी विभाग के रिटायर्ड अधिकारी जोगिंद्र सिंह ने बताया कि इन प्रवासी मेहमानों का मुख्य भोजन जलीय वनस्पति, जलीय कीट तथा छोटी मछली ही होता है जबकि उनका प्रजनन का समय अप्रैल-मई के दौरान होता है। उन्होंने बताया कि ये प्रवासी परिंदे हजारों की संख्या में नजर आएंगे, जो हवा में उड़ते हैं और पानी में तैरते हैं। ये पक्षी झील में गहरा गोता लगाकर मछलियों काे आहार बनाते हैं। उधर, ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क की अरण्यपाल मीरा शर्मा ने बताया कि इस वर्ष देश-विदेश से सैंकड़ों पक्षी पहुंचे हैं तथा इन विदेशी मेहमानों की सुरक्षा के लिए वन्य प्राणी विभाग ने विशेष प्रबंध किए हैं।