शिमला 28 मई । राष्ट्रीय उच्च मार्ग- 05 के टूटीकंडी से हसन वैली तक 27 किलोमीटर सड़क के किनारे हटाए जा रहे अतिक्रमण बारे प्रदेश सरकार को माननीय उच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर करनी चाहिए ताकि बेधर हो रहे सैंकड़ों लोगों को राहत मिल सके । हिमाचल प्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष डाॅ0 कुलदीप तंवर ने रविवार को जारी बयान में कहा है कि प्रदेश सरकार को राष्ट्रीय उच्च मार्ग- 05 के बाईपास की टूटीकंडी से हसन वैली तक संयुक्त निशानदेही करवानी चाहिए जबकि राष्ट्रीय उच्च मार्ग और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा अपने स्तर पर निशानदेही करवाकर सड़क के किनारे चला रहे असंख्य छोटे कारोबारियों का रोजगार छीन गया है । जिसमें अधिकांश छोटी दुकान, वर्कशाप, ढाबें चलाने शामिल हैं । उन्होने बताया कि सबसे अहम बात यह है कि अतिक्रमण धारकों को बिना नोटिस दिए उन पर नेशनल हाई वे अथोरिटी द्वारा एकतरफा कार्यवाही करना न्यायसंगत नहीं है । बताया कि प्रभावित लोगों को अपनी बात रखने का एक बार अवसर दिया जाना चाहिए था ।
डाॅ0 तंवर ने बताया कि 1962 के भारत चीन युद्ध के उपरांत इस बाईपास रोड़ को सामरिक दृष्टि से निर्मित किया गया था । उस दौरान यह रोड़ राष्ट्रीय उच्च मार्ग नहीं हुआ करता था । उस दौरान प्रभाावित परिवारों को रोड़ निर्मित करने के एवज में बहुत कम मुआवजा मिला था । बताया कि वर्ष 1998 के उपरांत इस रोड़ को मेहली तक एनएच-22 के तहत लाया गया था और एनएच के अंतर्गत आने पर प्रभावित परिवारों को अतिरिक्त मुआवजा नहीं दिया गया है । इस दौरान जो राजस्व रिकार्ड और खसरा नंबर राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण को दिए गए थे उनके मुताबिक कई जगह पर सड़क नहीं बनी है जिस कारण अधिकांश लोग प्रभावित हो गए है । इनका कहना है कि माननीय हाईकोर्ट में जो तथ्य एनएच व प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए है उसमें काफी कमियां रह गई है।
उन्होने बताया कि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे स्थानीय विधायक एवं मंत्री अनिरूद्ध सिंह और पूर्व भाजपा सरकार में मंत्री रहे सुरेश भारद्वाज को प्रभावित हो रहे सैंकड़ों लोगों के पुनर्वास बारे सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू से बात करनी चाहिए । इस बारे कानून विशेषज्ञों की राय लेकर माननीय उच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर करनी चाहिए और एनएच की जमीन की निशानदेही करने के लिए विशेष आयुक्त की तैनाती करके नए सिरे से संयुक्त डिमार्केशन की जानी चाहिए ।
डाॅ0 तंवर ने बताया कि वर्ष 2015-16 के दौरान अपर शिमला में माननीय हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना में अतिक्रमण हटाने का कार्य शुरू हुआ था जिसमें अधिकांश सेब के बागीचे शामिल थे । जिस बारे किसान सभा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समक्ष इस मामले को रखा गया था जिनकी सरकार ने माननीय हाईकोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की गई थी जिससे करीब पौने दो लाख कब्जाधारकों को राहत मिली थी । उन्होने प्रदेश सरकार से अपील की है इस गंभीर मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करके माननीय हाईकोर्ट में समीक्षा याचिका दायर की जाए ।