राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने हिमाचल प्रदेश में ललित कलाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि युवाओं को इस दिशा में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
राज्यपाल जवाहर लाल नेहरू राजकीय ललित कला महाविद्यालय चौड़ा मैदान के वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों के प्रदर्शन पर सन्तोष व्यक्त करते हुए कहा कि ललित कला महाविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में सदियों से विभिन्न प्रकार की शिक्षा पद्धतियों का विकास हुआ है, लेकिन ललित कलाओं विशेषकर संगीत में हमने दुनिया को एक संदेश दिया है।
राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा, माता सरस्वती को संगीत की देवी कहा जाता है और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां संगीत समारोह का आयोजन नहीं किया जाता है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में शास्त्रीय संगीत और कला के क्षेत्र में विशेष कार्य किए जा रहे हैं, जिन्हें विस्तार प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि युवा कलाकारों को अधिक प्रोत्साहन प्रदान करने की जरूरत है। उन्होंने महाविद्यालय के पुस्तकालय के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने महाविद्यालय पत्रिका कला दर्शन के पहले संस्करण का विमोचन भी किया।
जवाहर लाल नेहरू राजकीय ललित कला महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. मीना शर्मा ने राज्यपाल का अभिनन्दन एवं स्वागत किया तथा महाविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने पिछले दो वर्षों के दौरान महाविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों और उपलब्धियों का भी विवरण दिया। उन्होंने कहा कि ललित कला के विभिन्न विषयों में 157 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जिनमें 93 छात्र और 64 छात्राएं हैं। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही महाविद्यालय का नया परिसर बन कर तैयार होगा।
इस मौके पर छात्राओं ने शास्त्रीय और वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति भी दी।
निदेशक, उच्चतर शिक्षा डॉ. अमरजीत शर्मा, राजकीय महाविद्यालय कोटशेरा की प्रधानाचार्य डॉ. अनुपमा गर्ग, अभिभावक शिक्षक संघ की अध्यक्ष रितु शर्मा, विभिन्न महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों के अतिरिक्त अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।