शिमला 9 दिसम्बर, 2023
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री शिव प्रसाद शुक्ल द्वारा ऐतिहासिक शिमला गेयटी थियेटर में हिमालय साहित्य एवं संस्कृति मंच द्वारा आयोजित साहित्य सम्मान समारोह में पांच महिला रचनाकारों को सम्मानित किया गया। सम्मानित रचनाकारों में वरिष्ठ लेखिका डॉ.नलिनी विभा ‘नाज़ली‘, डॉ.प्रेरणा ठाकरे, डॉ. देवकन्या ठाकुर, दीप्ति सारस्वत ‘प्रतिमा‘ और डॉ.देविना अक्षयवर शमिल हैं।
राज्यपाल के साथ पूर्व आई.ए.एस अधिकारी व लेखक श्रीनिवास जोशी और सम्मानित रचनाकारों ने मंच सांझा किया। साहित्य सम्मान से अलंकृत होने के बाद सभी रचनाकारों ने रचना पाठ भी किए। यह जानकारी प्रख्यात लेखक व हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष एस.आर.हरनोट ने आज शिमला में एक प्रैस नोट जारी कर मीडिया को दी।यह जानकारी प्रख्यात लेखक व हिमालय साहित्य मंच के अध्यक्ष एस.आर.हरनोट ने आज शिमला में एक प्रैस नोट जारी कर मीडिया को दी।
इस आयोजन के मुख्य अतिथि राज्यपाल श्री शिव प्रसाद शुक्ल ने कहा कि हिमालय साहित्य मंच द्वारा आयोजित ‘महिला रचनाकार सम्मान समारोह‘ कई अर्थों मंें महत्वपूर्ण है। नारी के सम्मान में संस्कृत में एक श्लोक है–यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवताः अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। एक घर से लेकर सृष्टि की अवधारणा तक, केन्द्र में नारी ही है। मुझे प्रसन्नता है कि वर्तमान में नारी न केवल पितृसत्ता के दायरे से बाहर आ रही है बल्कि उसने पुरूषों के बराबर अपने को स्थापित किया है। यही कारण है कि हिन्दी साहित्य में आज स्त्री विमर्श प्रमुखता से विद्यमान है। हिमालय मंच विशेषकर मंच के अध्यक्ष एस.आर.हरनोट, जो न केवल एक जानेमाने लेखक ही है बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता भी है, बधाई के पात्र हैं कि आज का यह साहित्यिक उत्सव ‘‘नारी सम्मान‘‘ को समर्पित किया है। इनमें वरिष्ठ और युवा महिला रचनाकार शामिल हैं। मैं सम्मानित पांचों महिला रचनाकारों को दिल की गहराईयों से बधाई और शुभकामनाएं देता हूं और आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना भी करता हूं। उन्होंने ने अपने उदबोधन में कहा कि एक लेखक अपने साहित्य के साथ साथ अपनी संस्कृति और परम्पराओं को बचाने के लिए बड़ा काम कर सकता है और उसे करना भी चाहिए। जहां अच्छा हो रहा है उसकी प्रशंसा जरूरी है और जहां आपको कोई शोषण अन्याय दिख रहा है वहां बोलना जरूरी है। एस आर हरनोट इसके उदाहरण हैं। हिमालय मंच पिछले कई सालों से साहित्य संस्कृति और पर्यावरण के लिए समर्पित है यह बहुत अच्छी बात है। इस सम्मान सत्र का मंच संचालन हिमाचल अकादमी के पूर्व सचिव व लेखक डॉ.कर्म सिंह द्वारा कुशलता से किया गया।
हरनोट ने बताया कि सम्मान समारोह के पूर्व सत्र में एक बजे से चार बजे तक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें शिमला सहित राज्य और बाहर के कई स्थानों से लेखक कवि सम्मिलत हुए जिन्होंने अपनी रचनाएं पढ़ीं। इस सत्र की अध्यक्षता उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में बतौर नेशनल फेैलो काम कर रहे डॉ.आनंद कुमार ने की जबकि विशिष्ट अतिथि डॉ.हेमराज कौशिक, डॉ मस्त राम और डॉ.सत्य नारायण स्नेही थे।
हिमालय मंच के अध्यक्ष ने जानकारी दी कि वरिष्ठ लेखिका डॉ.नलिनी विभा ‘नाज़ली‘ का नाम एक शायरा/गज़लकार के रूप में देश भर में प्रख्यात है। उनके अब तक 13 गज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जिनमें दो पुस्तकें बच्चों के लिए भी शामिल हैं। हाल ही में उनका ग़ज़लों का वृहद् ग्रन्थ ‘दीवान-ए-नाज़ली‘ प्रकाशित हुआ है जिसमें उनकी पांच सौ के क़रीब ग़जलें संग्रहीत हैं। नाजली जी को प्रदेश ओर देश के अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। डॉ.प्ररेणा ठाकरे की मूल भाषा मलयालम है जबकि वे पिछले लगभग 25 सालों से हिन्दी की मंचीय कविता में बेहद सक्रिय हैं और अपने प्रदेश में एक सैलेब्रिटी की तरह लोकप्रिय हैं।हिन्दी साहित्य में पी.एच.डी डॉ0 प्रेरणा ठाकरे मध्य प्रदेश के नीमच में एक सरकारी कॉलेज में हिन्दी की अतिथि आचार्य हैं। उनकी अबतक कविता और गज़लों की चार और कहानी की एक पुस्तक प्रकाशित हैं। वे कई राज्य सम्मानों से अलंकृत हैं। डॉ.देव कन्या ठाकुर हिन्दी साहित्य और फिल्म निर्माण में सक्रिय हैं। अब तक अंग्रेजी और हिन्दी में पांच पुस्तकें प्रकाशित हैं और हिमाचल के कई दुर्लभ विषयों में कई फिल्मों का निर्माण कर चुकी है जिन्हें कई राज्य और राष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। पिछले कई सालों से देवकन्या ठाकुर शिमला अंतराष्ट्रीय फिल्म फैस्टिवल का सफल संचालन कर रही है। दीप्ति सारस्वत ‘प्रतिमा‘ लेखन के साथ अध्यापन में रहते हुए हिन्दी की सेवा कर रही है।उनकी अब चार कविता और एक कहानी पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। साथ ही डिजिटल मीडिया में सकिक्र हैं। डॉ. देविना अक्षयवर मूल रूप से मोरिशस की निवासी हैं लेकिन जे.एन.यू में पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने स्थायी निवास शिमला हिमाचल बना लिया है। वे फ्रैंच भाषा की विद्वान भी हैं। इन दिनों शिमला के प्रतिष्ठित कॉलेज सैंट बीड्स में हिन्दी की सहायक प्रोफेसर हैं। प्रवासी साहित्य को लेकर उनका अध्ययन हैं और वे कविता, कहानी और आलोचना में समान रूप से अपनी भूमिका निभा रही हैं। ऐसी चार युवा प्रतिभाओं को सम्मानित करने पर हिमालय मंच गौरवान्वित महसूस करता है।