हिमाचल प्रदेश के बद्दी की ग्रीन लैब कंपनी कृषि विवि पालमपुर के साथ मिलकर भांग के पौधों पर रिसर्च करेगी। कंपनी का कृषि विवि के साथ एमओयू साइन हुआ है। भांग में कई ऐसे कंपाउंड (तत्व) पाए जाते हैं, जो दवाइयों में इस्तेमाल किए जाते हैं। भांग पर विदेशों में भी रिसर्च हो रही है, लेकिन भारत में पाए जाने वाले भांग के पौधों पर यहीं रिसर्च होगी तो भारत का नाम ऊंचा होगा। ग्रीन लैब न्यूजीलैंड की कंपनी है। इसकी बद्दी में भी ब्रांच है।
न्यूजीलैंड से वैज्ञानिक डॉ. परमजीत रंधावा और डॉ. रुपेंद्र बराड़ कंपनी की ओर से कृषि विवि के वैज्ञानिकों के साथ रिसर्च में हिस्सा लेंगे। सरकार से भी रिसर्च को जल्द हरी झंडी मिलने वाली है। अभी तक भांग का प्रयोग अधरंग (लकवा) की दवाई में किया जाता है, लेकिन लोग इसका प्रयोग ज्यादातर नशे के लिए करते हैं। अब वैज्ञानिक इसका नशे के तत्वों को दूर करके इसके मेडिशिनल तत्व को प्रमोट कर इसके पौधे को नई ब्रीड दी जाएगी।
कोरोना संक्रमण केे चलते रिसर्च का यह कार्य देरी से शुरू हो रहा है। भांग में कई ऐसे कंपाउंड हैं, जो कई प्रकार की दवाओं में इस्तेमाल हो सकते हैं। अभी तक कुछ ही कंपाउंड का पता चल पाया है। इसमें अभी कई तत्वों की जानकारी नहीं है। इस पर रिसर्च की जाएगी। उनका मानना है कि अगर वैज्ञानिक इसमें सफल हो जाते हैं तो भारत का नाम विश्व मानचित्र सुनहरे अक्षरों से लिखा जाएगा।










