हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव से ठीक पहले कांग्रेस नेताओं के खिलाफ भाजपा की चार्जशीट विजिलेंस में एक फिर खुल गई है। बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ओक ओवर शिमला में विजिलेंस अधिकारियों की बैठक बुलाई और उनके साथ इस चार्जशीट के आधार पर चली विभिन्न जांचों पर मंत्रणा भी की। चार्जशीट में कांग्रेस के 40 से ज्यादा नेताओं और अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे।
जयराम सरकार ने सत्ता मेें आने के बाद इस आरोपपत्र को विजिलेंस को छानबीन के लिए भेज दिया था, लेकिन पिछले कुछ वक्त से जांच ठंडे बस्ते में थी। मुख्यमंत्री के समक्ष विजिलेंस अधिकारियों ने अपने कार्यों की प्रस्तुति दी। सूत्रों के अनुसार विजिलेंस ने मुख्यमंत्री से भ्रष्टाचार के मामलों पर अब तक की कार्रवाई के बारे में चर्चा की।
इसके अलावा विजिलेंस में दर्ज मामलों की छानबीन, प्रारंभिक छानबीन से गुजर रहे प्रकरणों केस्टेटस और कई विषयों पर चर्चा की। कांग्रेस के पिछले कार्यकाल में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा की अगुवाई में विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने तत्कालीन राज्यपाल आचार्य देवव्रत को 75 पृष्ठों की एक चार्जशीट सौंपी थी। इसे ‘सरकार में अली बाबा चालीस चोर’ नाम दिया था। इसमें तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह, उनके दस मंत्रियों मंत्री विद्या स्टोक्स, कौल सिंह ठाकुर, जीएस बाली, अनिल शर्मा, मुकेश अग्निहोत्री, सुधीर शर्मा आदि और छह मुख्य संसदीय सचिवों, निगमों-बोर्डों के दस अध्यक्षों-उपाध्यक्षों समेत चालीस नेताओं और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए गए थे।
चार्जशीट में पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर, जीएस बाली, सुजानपुर के कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा और राज्य वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ख्वाजा खलीलुल्ला के खिलाफ इसी साल फरवरी में जांच शुरू करने की तैयारी हुई। प्रारंभिक छानबीन में इन नेताओं पर लगाए भ्रष्टाचार के मामलों में विजिलेंस अभी जांच में बहुत आगे नहीं बढ़ पाया है। सूत्रों के अनुसार सीएम जयराम ठाकुर को विजिलेंस के अधिकारियों ने इस संबंध में भी विस्तृत फीडबैक दिया है।