हिमाचल उपचुनाव में समीकरण बिठाने के लिए चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों को काफी मसक्कत करनी पड़ रही है। जीत तक पहुँचने के लिए राह में कई कांटे हैं। जिसे साफ़ करने में आलाकमान से लेकर क्षेत्रीय नेतृत्व जुटा हुआ है।
दोनों पार्टियों के लिए अर्की-फतेहपुर है कठिन चुनौती:
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के निधन के बाद अर्की सीट पर भी चुनाव होना है। यहां से बीजेपी के कद्दावर नेता हैं गोविंद राम शर्मा। 2017 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर रतन सिंह पाल को टिकट दिया था। अब गोविंद राम शर्मा नाराज चल रहे हैं, टिकट की मांग भी कर रहे हैं।
इस सीट पर समीकरण बिठाने के लिए प्रदेश भाजपा प्रभारी अविनाश राय खन्ना भी अर्की पहुंच सभी समस्यों को सुलझा रहे हैं।
फतेहपुर सीट पर भी कांग्रेस विधायक सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद सीट खाली हुई है। कांग्रेस उनके बेटे भवानी सिंह पठानिया को टिकट देने जा रही है। वहीं, बीजेपी के लिए चुनौती है कि इस सीट से पार्टी को लगातार तीन बार से हार का सामना करना पड़ रहा है।
वही फतेहपुर में टिकट पाने का घमासान चला हुआ है
मौजूदा हालात की बात करें तो कृपाल परमार भी मजबूत दावेदार हैं। उनके श्रीकृष्ण-सुदामा वाले बयान को लेकर पार्टी में पहले ही काफी हंगामा हो चुका है। अब एक महिला नेत्री रिता ठाकुर मजबूती से अपनी दावेदारी रख रही हैं तो एक दूसरा धरा पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष जगदेव सिंह के लिए टिकट की मांग पर अड़ी है।
हालांकि, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती और अन्य नेता कार्यकर्ताओं का रोष शांत करने के लिए फतेहपुर में लगातार बैठकें कर रहे हैं।
मंडी-जुब्बल में मजबूत नजर आरी भाजपा, पर कांग्रेस ने भी हार नहीं मानी
दूसरी तरफ मंडी लोकसभा क्षेत्र और जुब्बल कोटखाई विधानसभा सीट पर बीजेपी के लिए चुनौतियां अपेक्षाकृत कम हैं। जुब्बल से नरेन्द्र बरागटा विधायक थे और मंत्रीमंडल में भी अहम जिम्मेदारी संभल रहे थे। यहां से चेतन बरागटा का टिकट तय माना जा रहा है। वहीं कांग्रेस से रोहित ठाकुर को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। रोहित ठाकुर की भी अच्छी पक्कड़ है जुब्बल है।
मंडी लोकसभा क्षेत्र में भी भाजपा के कई विधायक और मंत्री हैं। पार्टी एड़ी- चोटी का ताकत लगा रही है। सीएम जयराम का गृहक्षेत्र होने के वजह से भी बीजेपी का आत्मविश्वास काफी मजबूत है।
प्रतिभा सिंह की दावेदारी बढ़ा सकती हैं मुश्किलें:
मंडी में भाजपा के पास प्रत्याशियों की भी कमी नहीं है। खुशहाल ठाकुर, अजय राणा, महेश्वर सिंह, जैसे संभावित प्रत्याशी हैं। कांग्रेस यहाँ से यदि प्रतिभा सिंह को टिकट देती है तो भाजपा के लिए सीट जीत पाना काफी मुश्किल हो जाएगा।
राजा साहब के निधन के ठीक बाद यदि प्रतिभा सिंह यदि मंडी से मैदान में आती हैं तो सहानुभूति की लहर को रक पाना कठिन होगा। हालांकि, 2014 का चुनाव हारने के बाद 2019 का लोकसभा चुनाव वह नहीं लड़ी थीं।
अब तो यह चार सीटे ही बातएगी क्या भाजपा मिशन रिपीट करेंगी या कांग्रेस आएगी…….










