हिमाचल सरकार इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में बदलाव करने जा रही है। विधानसभा के मानसून सत्र में सोमवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस बारे में एक विधेयक लाएंगे। इस विधेयक को सत्र के आखिरी दिन मंगलवार को पारित किया जाएगा। इस बिल के जरिए हिमाचल प्रदेश विद्युत शुल्क अधिनियम 2009 में संशोधन किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश विद्युत शुल्क अधिनियम 2009 में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी को अलग-अलग कैटेगरी में तय किया गया है। यह शुल्क घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर कमर्शियल, इंडस्ट्रियल, एग्रीकल्चरल और वाटर सप्लाई बिजली उपभोग पर लगता है। हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी एक्ट 2009 में कुल 17 धाराएं हैं। इसी एक्ट के अनुसार अभी विद्युत शुल्क की वसूली हो रही है। इसकी धारा-3 में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की दरें तय की गई हैं। शुल्क की रिकवरी और पेनल्टी इत्यादि के प्रावधान भी इसी कानून में है।
इस कानून को हिमाचल विधानसभा में 20 अगस्त, 2009 को पारित किया गया था। इसके बाद इसमें नौ सितंबर 2010 में संशोधन किया गया था, जो 23 जुलाई, 2010 से प्रभावी हुआ था। अब हिमाचल सरकार इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की कुछ दरें कम करने जा रही है, जबकि कुछ दरों में बढ़ोतरी होगी। ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के साथ हुई मुख्यमंत्री की बैठक में इसी एक्ट के जरिए राज्य में एनवायरमेंट या मिल्क सेस भी लगाने की चर्चा हुई थी। हालांकि यह प्रावधान इस बिल में आता है या नहीं, यह सोमवार को पता चलेगा। हिमाचल में इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन में इस्तेमाल की जाने वाली बिजली पर भी ड्यूटी लगेगी। यह नया सेक्टर इस एक्ट में पहली बार जोड़ा जा रहा है। राज्य सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी करने के लिए यह संशोधन किया जा रहा है।
वर्तमान इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी दरें
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 03 फीसदी
नॉन डोमेस्टिक/नॉन कमर्शियल 03 फीसदी
एग्रीकल्चरल/इरिगेशन एक्टिविटी 10 फीसदी
कमर्शियल उपभोक्ताओं के लिए 08 फीसदी
इंडस्ट्रियल सेक्टर-छोटे उद्योग 09 फीसदी
इंडस्ट्रियल सेक्टर-मध्यम उद्योग 15 फीसदी
इंडस्ट्रियल सेक्टर-बड़े उद्योग 20 फीसदी
बल्क सप्लाई कंज्यूमर के लिए 10 फीसदी
स्ट्रीट लाइट सप्लाई कंज्यूमर 10 फीसदी