हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (हपुटा) ने बार-बार विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्य सरकार से आग्रह किया है कि कैरियर उन्नयन योजना (Career Advancement Scheme – CAS) के लाभ विश्वविद्यालय शिक्षकों को दिए जाएँ, जिन्हें अगस्त 2022 में 7वें वेतन आयोग की अधिसूचना जारी करते समय पिछली सरकार ने अनुचित रूप से रोक दिया था।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (हपुटा) ने लगातार यह जोर दिया है कि सीएएस (CAS) यूजीसी विनियमों का अनिवार्य और अभिन्न प्रावधान है। अधिसूचना से इसके हटाए जाने के गंभीर परिणाम हुए हैं: इसने विश्वविद्यालय शिक्षकों के शैक्षणिक करियर पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, विशेष रूप से उन पर जो देश और विदेश में शैक्षणिक और शोध गतिविधियों में संलग्न हैं। साथ ही, यह विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती और पदोन्नति को नियंत्रित करने वाले यूजीसी ढाँचे से एक स्पष्ट विचलन है। ऐसी चूक न केवल शिक्षकों का मनोबल गिराती है बल्कि विश्वविद्यालय प्रणाली के शैक्षणिक मानकों और संस्थागत विकास को भी कमजोर करती है।
इस संबंध में, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (हपुटा) पहले ही माननीय मुख्यमंत्री और संबंधित अधिकारियों को कई ज्ञापन प्रस्तुत कर चुका है। कुलपति प्रो. महावीर सिंह ने भी पिछली कार्यकारी परिषद की बैठक में इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया और संकाय को आश्वस्त किया कि इस विषय पर शीघ्र ही राज्य सरकार और माननीय मुख्यमंत्री के साथ उच्चतम स्तर पर चर्चा की जाएगी।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (हपुटा) ने एक बार फिर सीएएस (CAS) के तत्काल कार्यान्वयन की माँग की है और इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष उठाने का निर्णय लिया है।
इसके साथ ही, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (हपुटा) ने कुलपति के साथ विश्वविद्यालय कर्मचारियों के वेतन वितरण हेतु ओवरड्राफ्ट/ऋण व्यवस्था के गंभीर मुद्दे पर भी चर्चा की। प्रो. महावीर सिंह ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में अधिसूचना राज्य सरकार द्वारा जारी की जा चुकी है और इन व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी एवं गारंटी स्वयं राज्य सरकार की होगी। उन्होंने आगे आश्वासन दिया कि इस कारण से विश्वविद्यालय पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन (हपुटा) ने जोर देकर कहा कि यद्यपि यह स्पष्टिकरण स्वागतयोग्य है, लेकिन यह स्थिति इस तथ्य को उजागर करती है कि राज्य सरकार द्वारा सतत वित्तीय योजना और समय पर निधि आवंटन की सख्त आवश्यकता है ताकि शिक्षकों एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों दोनों के हितों की रक्षा की जा सके।









