शिमला
यह हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व का क्षण था जब 21 से 24 फरवरी 2024 तक जबलपुर में इंडियन एकेडमी ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी द्वारा आयोजित क्रैनियोमैक्सिलोफेशियल विकृति पर हाल ही में संपन्न राष्ट्रीय कार्यशाला में डॉ. मनीषा दत्ता को, जो हिमाचल मेडिकल सर्विसेज में नियामित दन्त चिकित्सक के स्थाई पद पर अपनी सेवाएँ दे रही हैं और वर्तमान में हिमाचल सरकार के राजकीय दंत महाविद्यालय से ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी में मास्टर डिग्री कर रही है, पूरे देश से आए 150 से अधिक चिकित्स्को की उपस्थति में वैज्ञानिक शोध पत्रो की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस शोध पत्र में डॉ. मनीषा दत्ता ने गर्भवती महिलाओं द्वारा ली जाने वाली विभिन्न अवसादरोधी दवाओं के प्रभाव पर प्रकाश डाला , जो क्रैनियोमैक्सिलोफेशियल विकृतियों जैसे विकृत आकार के छोटे बढ़े सिर और चेहरे, कटे होंठ और तालु, नवजात शिशुओं में असामान्य रूप से विरूपित सिर एवम चेहरे का कारण बनती हैं।
इस कार्यशाला का विषय क्रैनियोमैक्सिलोफेशियल विकृति था, जो मानव चेहरे की विकृतियो का अध्ययन करता है, जैसे सड़क दुर्घटनाओं से मानव चेहरे पर हुये आघात और कुछ अन्य आनुवंशिक दोषों के कारण उत्पन्न विकृतियाँ जैसे कटे होंठ और तालु, हड्डियों का समय से पहले जुड़ना और कभी कभी ना जुड़ पाना, खोपड़ी में गंभीर विकृति आ जाना, मस्तिष्क पर दबाव पढना जिससे गंभीर दर्द और कभी-कभी अँधेपन की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है ।
इस कार्यशाला में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सुप्रसिद्ध चिकित्सक प्रोफेसर जी.ई.घाली ने भाग लिया, जो अमेरिकन बोर्ड ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी के अध्यक्ष और लुइसियाना राज्य स्वास्थ्य विश्वविद्यालय, यूएसए के चांसलर रहे हैं । राष्ट्रीय स्तर पर जाने माने शल्य चिकित्स्को जैसे मुंबई से डॉ. जे.एन खन्ना, जबलपुर से डॉ. राजेश धीरावानी और शिमला से डॉ. योगेश भारद्वाज ने वैज्ञानिक विचार-विमर्श के दौरान इन विषयों पर विस्तार से चर्चा की।